महासागरों के तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोत्तरी, तेजी से गर्म हो रहा समुद्र का पानी

1850 के बाद के सबसे गरम 18 सालों में से 17 साल इसी सदी के रहे हैं

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 20 Jan 2018 10:57 AM (IST) Updated:Sat, 20 Jan 2018 01:17 PM (IST)
महासागरों के तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोत्तरी, तेजी से गर्म हो रहा समुद्र का पानी
महासागरों के तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोत्तरी, तेजी से गर्म हो रहा समुद्र का पानी

बीजिंग (प्रेट्र)। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिंग मानव जाति के लिए सबसे बड़ा खतरा बनती जा रही है। जंगलों में आग, कई देशों में बाढ़ जैसे कई दुष्परिणाम सामने आने भी लगे हैं। इसके अलावा इसका सबसे ज्यादा असर समुद्री जीवों पर पड़ रहा है। कहीं उनके आकार में अनियमितता देखी जा रही है, तो कहीं उनके लिंगानुपात में। अब इस संकट की एक और भयावह तस्वीर सामने आई है, जिसने वैज्ञानिकों से लेकर आम इंसानों तक को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि इस संकट को कैसे टाला या कम किया जा सकता है। दरअसल, एक नवीन अध्ययन में सामने आया है कि वर्ष 2017 में महासागरों के तापमान में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ोत्तरी हुई है। चाईनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (कैस) की एक रिपोर्ट के अनुसार लगातार बढ़ रहे महासागरों के तापमान से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र खतरे में पड़ गया है।

तेजी से गर्म हो रहे समुद्र :

रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2015 की अपेक्षा 2017 में दुनियाभर में समुद्रों के ऊपरी दो किलोमीटर के पानी में ज्यादा गर्माहट पाई गई। अटलांटिक और अंटार्कटिका सागर तेजी से गर्म हो रहे हैं। दूसरे सागरों के गर्म होने का सिलसिला पहले से ही जारी है।

इन पर बढ़ा खतरा :

कैस के शोधकर्ताओं ने कहा कि समुद्र में पाए जाने वाली कोरल रीफ (मूंगा चट्टान) और जीव-जंतुओं पर खतरा बढ़ता जा रहा है। तापमान बढ़ने से समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है। समुद्री बर्फ की परतों के पिघलने से समुद्री धाराएं भी प्रभावित होंगी। समुद्र का तापमान बढ़ना जलवायु परिवर्तन का प्रमुख संकेतक है बिना अलनीनो के बढ़ रहा तापमान इसके अलावा नासा और ब्रिटेन के मौसम विभाग द्वारा किए गए अध्ययन में भी कुछ इसी तरह के परिणाम सामने आए हैं।

इसमें बताया गया है कि साल 2017, अल नीनो के बिना सबसे गर्म साल रहा है। इन दोनों संगठनों ने जो आंकड़े जारी किए हैं उसके अनुसार 2017 अब तक का दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल था। तकरीबन 167 साल के आंकड़ों को खंगाल कर तैयार की गई इस रिपोर्ट में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि पिछला साल 1998 के मुकाबले भी गरम था, जबकि 1998 में धरती पर तपिश के लिए अल नीनो को जिम्मेदार ठहराया गया था।

यह भी पढ़ें: डोकलाम में निर्माण पर चीन की भारत को खुली चुनौती, दे डाली ये नसीहत

chat bot
आपका साथी