डब्ल्यूएचओ ने कहा, बचाव उपकरणों की कमी के कारण भी कोरोना वायरस से मर रहे लोग

World Health Organization यानी WHO ने कहा है कि कोरोना पीड़‍ित लोगों की मौत की बड़ी वजह उपकरणों और चिकित्सा सुविधा की भारी कमी है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 28 Mar 2020 11:43 PM (IST) Updated:Sat, 28 Mar 2020 11:43 PM (IST)
डब्ल्यूएचओ ने कहा, बचाव उपकरणों की कमी के कारण भी कोरोना वायरस से मर रहे लोग
डब्ल्यूएचओ ने कहा, बचाव उपकरणों की कमी के कारण भी कोरोना वायरस से मर रहे लोग

जिनेवा, एएफपी। कोरोना पीड़‍ित लोगों की मौत की बड़ी वजह यह भी है कि वायरस से बचाव के लिए उपकरणों और चिकित्सा सुविधा की भारी कमी है। यह बात विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कही है। संगठन के प्रमुख टेड्रोस अधनोम घेब्रेसस ने यह बात वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने बताया कि डब्ल्यूएचओ ने बचाव के करीब 20 लाख उपकरण 74 देशों को भेजे हैं। जल्द ही इतने ही उपकरण 60 अन्य देशों को भेजे जाएंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण की समस्या अंतरराष्ट्रीय सहयोग और एकजुटता दिखाने से खत्म होगी।

उन्होंने जी 20 देशों से अनुरोध किया कि वे अपनी औद्योगिक और शोध क्षमता का लाभ लेते हुए जीवनरक्षक उपकरणों का उत्पादन और वितरण करें। इससे हम आने वाली पीढि़यों को यह संदेश देने में कामयाब होंगे कि ऐसा त्रासदी दोबारा न हो। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस दुनिया में अब तक 25 हजार से ज्यादा लोगों को मार चुका है। मृतकों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा, अभी कोरोना से हमारी लड़ाई की शुरुआत है। हमें खुद को संयमित रखकर एकजुटता प्रदर्शित करनी है और वायरस के खात्मे के लिए काम करना है।

वहीं ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने शुक्रवार को कोरोना वायरस से त्रस्त मानवजाति को राहत देने की ईश्वर से प्रार्थना की। पोप ने यह प्रार्थना लगभग खाली पड़े सेंट पीटर्स स्क्वेयर के समक्ष की। उन्‍होंने कहा कि हम सभी त्रस्त और अव्यवस्थित हैं। हम सब को एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए और राहत पहुंचानी चाहिए। सेंट पीटर्स बैसीलिका की सीढि़यों पर कैनोपीनुमा आवरण के पीछे खड़े पोप ने यह प्रार्थना कराई। कहा, हमें निराश नहीं होना है, उम्मीदों के लिए दिल-दिमाग खुले रखने हैं। परमपिता निश्चित रूप से सभी लोगों के शरीर स्वस्थ करेंगे और हृदय में राहत का भाव पैदा करेंगे। पोप फ्रांसिस ने करीब घंटे भर के धार्मिक विधि-विधान के बाद यह प्रार्थना की।  

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