अमेरिकी अधिकारियों ने किया खुलासा, फरवरी में ही ट्रंप को दे दी गई थी सैनिकों के संबंध में जानकारी

व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने खुलासा किया है कि राष्ट्रपति ट्रंप को फरवरी में ही सैनिकों को मारे जाने पर इनाम दिए जाने की जानकारी दे दी गई थी। उनको लिखित में ये बताया गया था।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Tue, 30 Jun 2020 03:43 PM (IST) Updated:Tue, 30 Jun 2020 06:17 PM (IST)
अमेरिकी अधिकारियों ने किया खुलासा, फरवरी में ही ट्रंप को दे दी गई थी सैनिकों के संबंध में जानकारी
अमेरिकी अधिकारियों ने किया खुलासा, फरवरी में ही ट्रंप को दे दी गई थी सैनिकों के संबंध में जानकारी

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। अफगानिस्तान में यूएस और गठबंधन के सैनिकों को मारने के लिए तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को इनाम दिए जाने के मामले में व्हाइट हाउस के दो अधिकारियों ने नया खुलासा किया है।

इन अधिकारियों का कहना है कि ट्रंप को पढ़ने के लिए जो नोट्स तैयार किए जाते हैं उसमें फरवरी माह में इस मुद्दे को भी शामिल किया गया था, उनको नोट तैयार करके दिया गया था जिसमें ये लिखा गया था कि खुफिया अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी है कि रूस अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए आतंकियों को इनाम देने की बात कह रहा है।

जबकि कुछ दिन पहले राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बात से ही इनकार कर दिया था कि उनको इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, उनको कोई जानकारी दी ही नहीं गई। अब व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने राष्ट्रपति ट्रंप के ही बयान को गलत साबित कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि ट्रंप इस पूरे मामले से परिचित थे। अधिकारियों ने इस बात को गलत साबित किया कि ट्रंप को इसके बारे में कभी भी कोई जानकारी नहीं दी गई, हो सकता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस जानकारी की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया हो मगर उनको ये बातें लिखित तौर पर बताई गई थी।

अफगानिस्तान में अमेरिकी सैनिकों को मारने के लिए तालिबान के आतंकियों को इनाम देने के मामले में एक नई जानकारी सामने आ रही है। अब पता चला है कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और विशेष अभियान दलों ने इस रूसी साजिश के बारे में जनवरी 2020 के शुरू में ही अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सतर्क कर दिया था, उसके बाद फरवरी में उनकी ओर से एक नोट तैयार किया गया, फिर उसे ट्रंप के सामने रखा गया। 

खुफिया अधिकारियों को एक खास सूचना मिली थी, उस सूचना पर काम करते हुए अधिकारियों ने तालिबान की चौकी पर एक छापेमारी की, उनको वहां से बड़ी मात्रा में अमेरिकी नकदी मिली जिससे इस बात का संदेह पैदा हुआ कि सैनिकों को मारने के लिए इन आतंकियों को पैसे दिए गए। पकड़े गए आतंकियों से जब खुफिया अधिकारियों ने पूछताछ की तो उन्होंने इस बात का खुलासा भी किया।

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि पकड़े गए उग्रवादियों और अपराधियों से जब पूछताछ की गई तो खुफिया अधिकारियों को ये भी पता चला कि रूसियों की ओर से साल 2019 में इन आतंकियों को इस तरह से इनामों की पेशकश की गई उसके बाद उनको भुगतान किया गया। इस सूचना के बाद से सैन्य और खुफिया अधिकारी पिछले 18 महीनों में अमेरिका और अन्य गठबंधन का मुकाबला करने वाले हताहतों की समीक्षा कर रहे थे ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि इनमें से कितने लोग रूस की उस साजिश का शिकार हुए हैं। 

2020 की शुरुआत में चार अमेरिकी युद्ध में मारे गए थे लेकिन अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे युद्ध को समाप्त करने के लिए फरवरी के बाद हुए समझौते के बाद से तालिबानियों ने अमेरिकी सैनिकों पर हमला नहीं किया है। दरअसल रविवार को अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति जो बिडेन ने इस मामले में रूस के खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दोषी ठहराया था।

कुछ दिन पहले व्हाइट हाउस की ओर से इस बात से ही इनकार किया गया था कि कई माह पहले ही खुफिया अधिकारियों ने ट्रंप को इसके बारे में कोई जानकारी दे दी थी कि रूस तालिबानी आतंकियों से अमेरिकी सैनिकों को मारने पर इनाम देने की बात कह रहा है। अब ये कहा जा रहा है कि फरवरी में उनको लिखित में एक नोट देकर इसके बारे में जानकारी दे दी गई थी। 

अधिकारियों ने इस मामले पर जानकारी देते हुए द न्यूयॉर्क टाइम्स ने शुक्रवार को बताया कि एक रूसी सैन्य खुफिया इकाई ने गुप्त रूप से तालिबान से जुड़े आतंकवादियों को अमेरिका सहित अफगानिस्तान में गठबंधन सैनिकों को निशाना बनाने के लिए भुगतान किया था। ट्रंप को इसके बारे में जानकारी दी गई थी। 

टाइम्स के लेख में यह भी बताया गया है कि व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने मार्च के अंत में एक इंटरजेंसी मीटिंग (अंतर-बैठक) में समस्या पर चर्चा की थी लेकिन अभी तक उस मामले में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बिडेन ने उसे शर्मनाक बताया। 

इस तरह की जानकारी सामने आने के बाद अमेरिका का कहना है कि यदि तालिबान के साथ ऐसे किसी हमले से उनके सैनिकों की मौतें हुईं है तो रूस के खिलाफ युद्ध का एक बड़ा विस्तार भी होगा। अशांति फैलाने के लिए साइबर हमले किए जाएंगे, विरोधियों को अस्थिर करने की रणनीति अपनाई जाएगी। 

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