दक्षिण चीन सागर में पीआरसी ने किया सैन्य अभ्यास, अमेरिका ने जाहिर की चिंता
अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त की है।
वॉशिंगटन, एएनआइ। अमेरिका ने 1-5 जुलाई को दक्षिण चीन सागर में पेरासेल द्वीप समूह के आसपास पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (पीआरसी) द्वारा किए गए सैन्य अभ्यास पर चिंता व्यक्त की है।
रक्षा विभाग ने एक प्रेस बयान में कहा कि दक्षिण चीन सागर में विवादित क्षेत्र पर सैन्य अभ्यास आयोजित करना तनाव कम करने और स्थिरता बनाए रखने के प्रयासों के प्रतिशोधात्मक है। पीआरसी की कार्रवाइयां दक्षिण चीन सागर में स्थिति को और अस्थिर कर देंगी। इस तरह के अभ्यास 2002 के आचरण के तहत घोषणाओं का उल्लंघन भी करते हैं। दक्षिण चीन सागर में उन गतिविधियों से बचने के लिए जो विवादों को जटिल या बढ़ाएंगे और शांति और स्थिरता को प्रभावित करेंगे।
इसने आगे कहा गया कि ये सैन्य अभ्यास अवैध समुद्री दावों पर जोर देने के लिए पीआरसी के कदम का एक सिलसिला है, इस प्रकार यह दक्षिण चीन सागर में अपने दक्षिण पूर्व एशियाई पड़ोसियों के लिए खतरा पैदा करता है। पीआरसी की कार्रवाइयां दक्षिण चीन सागर और संयुक्त राज्य अमेरिका के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की दृष्टि का सैन्यीकरण नहीं करने की अपनी प्रतिज्ञा के विपरीत हैं।
चीन से दक्षिण चीन सागर में विवादों को बढ़ाने वाले सैन्य अभ्यासों पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करते हुए, विभाग ने यह भी कहा कि वह स्थिति की निगरानी करना जारी रखेगा।
वहीं दूसरी तरफ चीन का लद्दाख में भारत के साथ संघर्ष चल रहा है। जिसमें अमेरिका और जापान ने भारत का समर्थन किया है। चीन के साथ सीमा विवाद के बीच जापान ने भारत का समर्थन किया है। शुक्रवार को भारत में जापान के राजदूत सतोशी सुजुकी ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा है कि वह लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी)- जहां पर 15 जून को भारत और चीन के सैनिकों का आमना-सामना हुआ था पर यथास्थिति बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास का विरोध करते हैं। जापानी राजदूत ने भारत के विदेश सचिव हर्ष वी श्रृंगला से फोन पर बात कर अपना समर्थन जाहिर किया है। इस बारे में पूरी जानकारी सुजुकी ने अपने ट्वीटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए दी है। उन्होंने लिखा, जापान संवादों के जरिए शांतिपूर्ण समाधान की उम्मीद करता है।