आइस बाथ लेने से रुक जाता है मांसपेशियों का विकास, व्यायाम के असर पर फेर सकता है पानी

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात का दावा कोई नहीं कर सकता है कि बर्फीले पानी में बैठना आरामदायक अनुभव है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 02 Oct 2019 08:51 AM (IST) Updated:Wed, 02 Oct 2019 12:35 PM (IST)
आइस बाथ लेने से रुक जाता है मांसपेशियों का विकास, व्यायाम के असर पर फेर सकता है पानी
आइस बाथ लेने से रुक जाता है मांसपेशियों का विकास, व्यायाम के असर पर फेर सकता है पानी

वाशिंगटन, न्यूयॉर्क टाइम्स से। पेशेवर एथलीटों के ट्रेनिंग रूम और कुछ जिम में बर्फ से भरा बाथटब होना बेहद आम बात है। बहुत से एथलीट कड़े व्यायाम के बाद बर्फ के टुकड़ों वाले पानी में कुछ देर बैठते हैं। इसे आइस बाथ भी कहा जाता है। इसके पीछे धारणा है कि व्यायाम के बाद बर्फीले पानी में नहाने से मांसपेशियों को आराम मिलता है और शरीर जल्दी ही दोबारा व्यायाम के लिए तैयार हो जाता है। हालांकि ताजा अध्ययन में इससे इतर नतीजे पाए गए हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि इस बात का दावा कोई नहीं कर सकता है कि बर्फीले पानी में बैठना आरामदायक अनुभव है। सच यही है कि ठंडे पानी की बूंदें सुई की तरह चुभती हैं। इसके बाद भी लोग आइस बाथ लेते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इससे कड़े व्यायाम से थकी मांसपेशियों को आराम मिलता है, मांसपेशियों को होने वाला नुकसान कम होता है और मांसपेशियों के विकास में भी मदद मिलती है।

आइस बाथ लेने व ना लेने वालों में नहीं आता कोई फर्क

कुछ युवाओं और एथलीटों पर किए गए अध्ययन में इससे इतर बात सामने आई है। इसमें पाया गया है कि वेट लिफ्टिंग के बाद अगर आइस बाथ लिया जाए, तो इससे व्यायाम का असर कम हो जाता है। इससे मांसपेशियों की मरम्मत की दिशा में तो कोई लाभ नहीं होता है, लेकिन उनका विकास जरूर रुक जाता है।

अध्ययन में पाया गया है कि व्यायाम के बाद आप आराम करने का कौन सा रास्ता अपनाते हैं, इससे यह तय होता है कि उस व्यायाम से आपको लाभ कितना होगा। आइस बाथ पर कई अध्ययन हुए हैं और उनसे उस तरह का लाभ सामने नहीं आया है, जैसा दावा किया जाता है। कुछ अध्ययनों के नतीजे बताते हैं कि मांसपेशियों के स्तर पर आइस बाथ लेने और नहीं लेने वालों में कोई फर्क नहीं होता है।

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने किया शोध

बर्फीला पानी पड़ने से शरीर की मांसपेशियों पर होने वाले असर का पता लगाने के लिए ऑस्ट्रेलिया स्थित डेकीन यूनिवर्सिटी और विक्टोरिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध किया। इसके लिए वेट लिफ्टिंग ना करने वाले 16 स्वस्थ्य युवकों का चयन किया गया। सात हफ्तों तक चले अध्ययन के दौरान उन सभी को हर हफ्ते तीन बार वर्कआउट करना था। वर्कआउट के बाद आधे लोगों ने आइस बाथ लिया जबकि अन्य ने कुछ देर बैठकर अपनी थकान दूर की। अध्ययन के अंत तक दोनों ही समूह के प्रतिभागी स्वस्थ और मजबूत लगे। हालांकि, उनक मांसपेशियों में अंतर पाया गया।

मांसपेशियों में मौजूद बॉयोकेमिकल्स हो जाते हैं असंतुलित

शोधकर्ताओं का कहना है कि मांसपेशिया लंबे फाइबर से निर्मित होती हैं। कसरत के बाद इनका विकास तेजी से होता है। हालांकि, कसरत के बाद तुरंत शरीर पर बर्फीला पानी पड़ने से फाइबर का विकास रुक जाता है। आइस बाथ से मांसपेशियों में मौजूद बॉयोकेमिकल्स का संतुलन बिगड़ जाता है। ऊतक के विकास के लिए जरूरी प्रोटीन की मात्रा घट जाती है जबकि उनके टूटने के लिए जिम्मेदार प्रोटीन की मात्रा बढ़ जाती है। यही वजह है कि मांसपेशी के फाइबर छोटे रह जाते हैं। 

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