वैज्ञानिकों का दावा बिना गर्मी के स्रोत के नहीं मिल सकता तरल अवस्था में पानी

एजीयू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दक्षिण ध्रुवीय आइस कैप के नीचे तरल पानी के मौजूद होने की वजह से मंगल पर ज्वालामुखी जरूर होने चाहिए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 15 Feb 2019 09:51 AM (IST) Updated:Fri, 15 Feb 2019 09:52 AM (IST)
वैज्ञानिकों का दावा बिना गर्मी के स्रोत के नहीं मिल सकता तरल अवस्था में पानी
वैज्ञानिकों का दावा बिना गर्मी के स्रोत के नहीं मिल सकता तरल अवस्था में पानी

वाशिंगटन, प्रेट्र। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि मंगल ग्रह पर सतह के नीचे ज्वालामुखी हो सकते हैं। उनका तर्क है कि गर्मी के भूमिगत स्रोत के बिना इस लाल ग्रह पर पानी का तरल अवस्था में पाया जाना संभव नहीं है। बता दें कि पिछले शोध में यह सुझाव दिया गया था कि मंगल के दक्षिण ध्रुवीय आइस कैप के नीचे पानी तरल अवस्था में मौजूद है। एजीयू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार दक्षिण ध्रुवीय आइस कैप के नीचे तरल पानी के मौजूद होने की वजह से मंगल पर ज्वालामुखी जरूर होने चाहिए।

अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि कुछ हजार सालों में मंगल की सतह के नीचे मैग्मा के चैंबर बने होंगे। जिसकी गर्मी की वजह से ही डेढ़ से दो किलोमीटर बर्फ की मोटी चादर के नीचे तरल पानी का निर्माण हुआ।

वैज्ञानिकों ने बताया कि अगर सतह के नीचे कोई मैग्मैटिक गतिविधि नहीं हुई होती तो तरल पानी मिलने की संभावना ही नहीं होती। लाल ग्रह में तरल पानी की मौजूदगी धरती के बाहर भी जीवन होने का संकेत है। मंगल ग्रह पर दोनों ध्रवों पर बर्फ की विशाल चादरें हैं। दोनों जगहों पर ये चादरें कई किलोमीटर मोटी हैं। प्रथ्वी पर मोटी बर्फ की चादरों के नीचे पानी होना आम बात है क्योंकि ग्रह की गर्मी के कारण बर्फ पिघल जाती है।

पिछले अध्ययनों में यह आया था सामने

साइंस में प्रकाशित एक पेपर में वैज्ञानिकों ने पिछले साल बताया था कि राडार के अवलोकनों से पता चला है कि मंगल के दक्षिणी ध्रुव में आइस कैप के नीचे पानी तरल अवस्था में मौजूद है। हालांकि, उस अध्ययन में यह नहीं बताया गया था कि तरल पानी वहां पहुंच कैसे गया।

यह है अनुमान

शोधकर्ताओं ने पहले आइसकैप के नीचे पानी की मौजूदगी को सही माना फिर यह पता लगाने की कोशिश की पानी मौजूद होने के लिए किन मापदंडों की आवश्यकता है। उन्होंने मंगल ग्रह का भौतिक माडल बनाकर यह समझा कि ग्रह के अंदर से कितनी गर्मी निकल रही है। बताया कि गर्मी के लिहाज से पता चलता है कि मंगल के सतह के नीचे ज्वालामुखी गतिविधियां मौजूद हैं। करीब तीन लाख साल पहले ग्रह के गहरे गर्भ से मैग्मा सतह की ओर बढ़ा होगा। इस मैग्मे ने ज्वालामुखी की तरह सतह पर विस्फोट नहीं किया, लेकिन सतह के नीचे जमा हो गया। इसकी छोड़ी हुई गर्मी से बर्फ के नीचे तरल पानी का निर्माण हुआ।

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