प्रदूषण से जुड़ी हैं आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं, वैज्ञानिकों ने हैरान करने वाली जानकारियां दी

वैज्ञानिकों ने अपने अध्‍ययन में पाया है कि आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं प्रदूषण से जुड़ी हैं। वर्ष 2020 में लगाए गए लाकडाउन के दौरान विश्वभर में वज्रपात (आकाशीय बिजली गिरने) की घटना में करीब आठ प्रतिशत की कमी आई।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Mon, 10 Jan 2022 06:33 PM (IST) Updated:Tue, 11 Jan 2022 12:43 AM (IST)
प्रदूषण से जुड़ी हैं आकाशीय बिजली गिरने की घटनाएं, वैज्ञानिकों ने हैरान करने वाली जानकारियां दी
लाकडाउन के दौरान विश्वभर में आकाशीय बिजली गिरने की घटना में करीब आठ प्रतिशत की कमी आई। (Photo- AFP)

न्यूयार्क, आइएएनएस। वैश्विक स्तर पर फैले कोरोना महामारी का बहुआयामी असर हुआ है। इसमें स्वास्थ्य और आर्थिक गतिविधियों को नुकसान प्रमुख तौर पर गिनाए जाते हैं। लेकिन महामारी के प्रसार को थामने के लिए वर्ष 2020 में लगाए गए लाकडाउन का पर्यावरण पर बड़ा सकारात्मक असर हुआ। इस संदर्भ में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी के एक शोध में सामने आया है कि कोविड-19 के कारण साल 2020 में बड़े पैमाने पर लगाए गए लाकडाउन के दौरान विश्वभर में वज्रपात (आकाशीय बिजली गिरने) की घटना में करीब आठ प्रतिशत की कमी आई।

लाकडाउन से हर जगह आई थी प्रदूषण में कमी

शोधकर्ताओं के मुताबिक, ऐसा लगता है कि बिजली गिरने की घटना में आई इस कमी का संबंध वायु प्रदूषण के कम होने से है। इंस्टीट्यूट के मौसम विज्ञान विभाग के शोधकर्ता याकुन लियू बताया कि कोविड-19 के कारण लागू किए गए लाकडाउन की वजह से हर जगह प्रदूषण में कमी आई।

प्रदूषण में कमी का मतलब

प्रदूषण में कमी का मतलब है कम माइक्रोस्कोपिक पार्टिकल्स। ये पार्टिकल्स आकाश में छा कर जल बूंदों और आइस क्रिस्टल के लिए न्यूक्लिएशन प्वाइंट उपलब्ध कराता है। इस प्रकार से बादलों में छोटे आइस क्रिस्टल की मात्रा कम होने से उन क्रिस्टलों में टकराव भी कम होता है। शोधकर्ता मानते हैं कि थंडरहेड विद्युतीय आवेश युक्‍त होते हैं, जिससे बिजली गिरने की घटना होती है।

ग्लोबल लाइटिंग डिटेक्शन नेटवर्क का इस्‍तेमाल

शोधकर्ताओं ने कहा कि साल 2020 में मार्च से मई के बीच तीन महीने का समय दुनियाभर में आकाशीय बिजली गिरने और एयरोसोल के बीच संबंधों के अध्ययन का अच्छा मौका था। टीम ने अपने अध्ययन में वैश्विक स्तर पर वज्रपात की घटनाओं के आकलन के लिए ग्लोबल लाइटिंग डिटेक्शन नेटवर्क (जीएलडी 360) और व‌र्ल्ड वाइड लाइटिंग लोकेशन नेटवर्क (डब्ल्यूडब्ल्यूएलएलएन) के डाटा का इस्तेमाल किया।

एयरोसोल की अहम भूमिका

एयरोसोल के लिए उन्होंने सेटेलाइट डाटा का प्रयोग किया जो वातावरण में प्रदूषण की स्थिति भी दर्शाता है। एयरोसोल का आकलन आप्टिकल डेप्थ के रूप में किया गया, जो यह दर्शाता है एयरोसोल प्रकाश को अवशोषित कर परावर्तित करता है। साल 2018 से 2021 के बीच ऋतु दर ऋतु शोधकर्ताओं ने पाया कि लाकडाउन के दौरान अधिकांश जगहों पर आकाशीय बिजली गिरने और एयरोसोल में उल्लेखनीय कमी आई।

7.6 प्रतिशत की कमी

शोधकर्ताओं ने अपना यह अध्ययन पिछले महीने न्यू ओरलियंस अमेरिकन जियोफिजिकल यूनियन की बैठक में पेश किया। इसमें बताया गया है कि बिजली गिरने की घटना में 7.6 प्रतिशत की कमी आई।

अमेरिका में थोड़ा इजाफा

एक और महत्वपूर्ण अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि 2020 में मार्च-मई के दौरान उन्हीं महीनों में साल 2018, 2019 और 2021 की तुलना में बादलों के टकराने से बिजली चमकने की घटनाओं में भी 19 प्रतिशत की कमी आई। उन्होंने यह भी पाया कि एयरोसोल प्रदूषण और बिजली गिरने का घटनाओं का पैटर्न अफ्रीका, यूरोप, एशिया और दक्षिण-पूर्वी तटवर्ती देशों के ऊपर एक जैसा ही रहा लेकिन अमेरिका में थोड़ा का इजाफा हुआ। 

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