नासा के लेजर उपकरण के साथ उड़ान भरेगा चंद्रयान-2, ऐसे लगेगा धरती से चांद की दूरी का सटीक पता

चंद्रयान-2 से पहले इजरायल के बेरशीट लैंडर के साथ भी नासा का लेजर रेट्रोरिफलेक्टर भेजा गया है। बेरशीट 11 अप्रैल को चांद पर उतर सकता है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Publish:Mon, 25 Mar 2019 06:34 PM (IST) Updated:Mon, 25 Mar 2019 06:34 PM (IST)
नासा के लेजर उपकरण के साथ उड़ान भरेगा चंद्रयान-2, ऐसे लगेगा धरती से चांद की दूरी का सटीक पता
नासा के लेजर उपकरण के साथ उड़ान भरेगा चंद्रयान-2, ऐसे लगेगा धरती से चांद की दूरी का सटीक पता

वाशिंगटन, प्रेट्र। चंद्रमा पर भारत के दूसरे अभियान चंद्रयान-2 के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का एक लेजर उपकरण भी भेजा जाएगा। नासा के अधिकारियों का कहना है कि इस उपकरण की मदद से धरती और चांद के बीच की दूरी का सटीक पता चल सकता है। चंद्रयान-2 से पहले इजरायल के बेरशीट लैंडर के साथ भी नासा का लेजर रेट्रोरिफलेक्टर भेजा गया है। बेरशीट 11 अप्रैल को चांद पर उतर सकता है।

चांद पर पहले से पांच लेजर रिफलेक्टर मौजूद हैं लेकिन उनमें कई खामियां हैं। कुछ का आकार बहुत बड़ा है। नासा के प्लैनेटरी साइंस डिविजन के अधिकारी लोरी ग्लेज ने कहा, 'हम चांद की सतह पर ज्यादा से ज्यादा रिफलेक्टर लगाना चाहते हैं।' रिफलेक्टर एक तरह का शीशा होता है जो धरती से आने वाले लेजर लाइट सिग्नल को प्रतिबिंबित करता है। सिग्नल की मदद से वैज्ञानिक पता लगा सकते हैं कि कोई भी यान चांद के किस हिस्से पर मौजूद है। इसके बाद चांद और धरती की दूरी की गणना भी हो सकती है। यह चांद के बदलते तापमान का पता लगाने में भी मदद कर सकता है।

एक दशक पहले भारत ने लांच किया था चंद्रयान-1
22 अक्टूबर, 2008 को भारत ने अपना पहला चंद्र अभियान लांच किया था। इसके करीब एक दशक बाद अप्रैल में चंद्रयान-2 को लांच किया जाना है। इस मिशन के तहत चांद की सतह पर लैंडर उतारा जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष रहे विक्रम साराभाई के नाम पर इस लैंडर का नाम 'विक्रम' रखा गया है। भारत चंद्रयान-2 मिशन के सफल होने पर रूस, अमेरिका, चीन और इजरायल के बाद चांद पर अपना यान उतारने वाला पांचवां देश बन जाएगा।

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