पिछले चार दशकों में अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने का दर 280 प्रतिशत बढ़ा

वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले 16 सालों में बर्फ पिघलने की दर खतरनाक रूप से 280 प्रतिशत बढ़ गई है। इस कारण वैश्विक समुद्र का स्तर पिछले चार दशकों में आधे इंच से ज्यादा बढ़ गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 16 Jan 2019 10:27 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jan 2019 10:27 AM (IST)
पिछले चार दशकों में अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने का दर 280 प्रतिशत बढ़ा
पिछले चार दशकों में अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने का दर 280 प्रतिशत बढ़ा

लॉस एंजिलिस, प्रेट्र। ग्लोबल वार्मिंग के चलते अंटार्कटिका में बर्फ के पिघलने की रफ्तार में बेतहाशा वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों ने बताया कि पिछले 16 सालों में बर्फ पिघलने की दर खतरनाक रूप से 280 प्रतिशत बढ़ गई है। इस कारण वैश्विक समुद्र का स्तर पिछले चार दशकों में आधे इंच से ज्यादा बढ़ गया है।

नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी और नीदरलैंड की यूट्रेक्ट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर 1979 से लेकर 1990 तक के सालों का अध्ययन करें तो औसत रूप से सालाना अंटार्कटिका में 40 गीगाटन बर्फ पिघलती थी। 2009 से लेकर 2017 के बीच इसमें बढ़ोतरी हुई और 252 गीगाटन बर्फ प्रतिवर्ष पिघलने लगी।

शोधकर्ताओं ने बताया कि चार दशकों में नाटकीय ढंग से बर्फ पिघलने की रफ्तार बढ़ी है। अगर 1979 से लेकर 2001 तक का औसत देखें तो प्रत्येक दशक में सालाना 48 गीगाटन बर्फ पिघली। अगर 2001 के बाद के सालों पर नजर डालें तो बर्फ पिघलने की दर में 280 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। 2001 से लेकर 2017 तक प्रत्येक साल 134 गीगाटन बर्फ पिघली।

प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में व्यापक अध्ययन किया। उन्होंने चार दशकों तक अंटार्कटिका महाद्वीप के 18 क्षेत्रों और लगभग 176 घाटियों का अध्ययन किया।

अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एरिक रिग्नाट ने बताया कि जिस रफ्तार से अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है। यहां पर समुद्र का स्तर आने वाले समय में बहुत बढ़ जाएगा। नासा की ओर से आपरेशन आइसब्रिज के तहत ग्लेशियरों की खींची गई हाई रेजोल्यूशन वाली फोटो से विस्तृत डेटा प्राप्त किया गया। रिग्नाट ने बताया कि फोटो के माध्यम से यह पता चला कि पिछले दशकों में पूर्वी अंटार्कटिका में सबसे ज्यादा बर्फ पिघली है। यहां पर भी सबसे ज्यादा बर्फ विल्केस लैंड सेक्टर में ही पिछली है। 1980 के पहले भी यहां भारी मात्रा में बर्फ पिघलती रही है। उन्होंने बताया कि यह क्षेत्र पारंपरिक रूप से जलवायु परिवर्तन के लिए सबसे अधिक संवेदनशील है और महत्वपूर्ण बात यह है कि इस क्षेत्र में ही पश्चिम अंटार्कटिका और अंटार्कटिक प्रायद्वीप से ज्यादा बर्फ मौजूद है।

शोधकर्ताओं ने कहा कि सबसे ज्यादा बर्फ खोने वालों में गर्म समुद्र से सटे क्षेत्र हैं। ग्लोबल वार्मिंग और ओजोन के घटने से महासागर गर्म हो रहे हैं और बर्फीले क्षेत्रों में ज्यादा बर्फ पिघल रही है। इससे आने वाले समय में समुद्र का स्तर बढ़ेगा, जो जलवायु परिवर्तन का संभवत: सबसे बड़ा कारण बनेगा।

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