मेदिनीपुर कॉलेज में दर्शन विभाग की कार्यशाला

पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मेदिनीपुर शहर स्थित मेदिनीपुर कॉलेज में विगत दिनों दश

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Feb 2018 07:04 PM (IST) Updated:Thu, 15 Feb 2018 07:04 PM (IST)
मेदिनीपुर कॉलेज में दर्शन विभाग की कार्यशाला
मेदिनीपुर कॉलेज में दर्शन विभाग की कार्यशाला

मेदिनीपुर : पश्चिम मेदिनीपुर जिले के मेदिनीपुर शहर स्थित मेदिनीपुर कॉलेज में विगत दिनों दर्शन शास्त्र विभाग की ओर से 'हम दूसरे के बारे में क्यों सोचें' विषयक पीरियोडिकल कार्यशाला का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ. गोपाल चंद्र बेरा ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। विभागाध्यक्ष प्रो. उस्मान गुनी ने कहा कि कार्यशाला में 100 से अधिक विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया।

बतौर आमंत्रित वक्ता विद्यासागर विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र की प्रवक्ता डॉ. पापिया गुप्ता व यादवपुर विश्वविद्यालय में दर्शन शास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीपायन पट्टनायक ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि दर्शनशास्त्र वह ज्ञान है जो परम् सत्य और प्रकृति के सिद्धांतों और उनके कारणों की विवेचना करता है। दर्शन यथार्थ की परख के लिये एक ²ष्टिकोण है। दार्शनिक ¨चतन मूलत: जीवन की अर्थवत्ता की खोज का पर्याय है। वस्तुत: दर्शनशास्त्र प्रकृति, समाज, मानव ¨चतन तथा संज्ञान की प्रक्रिया के सामान्य नियमों का विज्ञान है। भारतीय दर्शन का इतिहास अत्यंत पुराना है। प्राय: फिलॉसफी को दर्शन का अंग्रेजी समानार्थक समझा जाता है परंतु दोनों में स्पष्ट अंतर है। भारतीय दर्शन और फिलॉसफी एक नहीं हैं, क्योंकि दर्शन यथार्थता, जो एक है, का तत्वज्ञान है जबकी फिलॉसफी विभिन्न विषयों का विश्लेषण है। दर्शन में चेतना की मीमांसा अनिवार्य है, जो पाश्चात्य फिलॉसफी में नहीं है। मानव एक सामाजिक प्राणी है। समाज से अलग होकर रहना उसके लिए मुश्किल है, इसीलिए प्राचीन समय में समाज से बहिष्कृत कर अपराधियों को दंडित किया जाता था। समाज में रहकर ही हमें अपने से जुड़े लोगों के सुख-दुख के बारे में सोचने को विवश होते हैं।

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