चुनाव आयोग तृणमूल व माकपा से छिन सकता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

चुनाव आयोग बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस व राज्य में 34 सालों तक शासन कर चुकी माकपा से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन सकता है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Fri, 19 Jul 2019 10:22 AM (IST) Updated:Fri, 19 Jul 2019 11:04 AM (IST)
चुनाव आयोग तृणमूल व माकपा से छिन सकता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
चुनाव आयोग तृणमूल व माकपा से छिन सकता है राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा

कोलकाता, जागरण संवाददाता। चुनाव आयोग बंगाल की सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस व राज्य में 34 सालों  तक शासन कर चुकी माकपा से राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन सकता है। आयोग सूत्रों के हवाले से बताया गया कि ये दोनों दल राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकृति बनाए रखने की मौजूदा शर्त को पूरा नहीं कर रहे हैं। ऐसे में दोनों दलों के प्रमुखों को जल्द नोटिस भेजकर पूछा जाएगा कि आखिर उनका राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा क्यों न खत्म किया जाए? हालांकि, इस सूची में केवल माकपा और तृणमूल ही नहीं, बल्कि राकांपा भी शामिल है।

मौजूदा नियमों के मुताबिक राष्ट्रीय पार्टी की स्वीकृति रखने के लिए कम से कम चार राज्यों में लोकसभा या विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी विशेष को कम से कम छह फीसद वोट मिलना चाहिए। लोकसभा की कुल सीटों का कम से कम दो फीसद अर्थात नौ सीटें जीती हुई होनी चाहिए। ये सीटें भी एक राज्य में सीमित न होकर कम से कम तीन राज्यों में होनी चाहिए। तृणमूल इन शर्तों को पूरा नहीं कर रही है। पार्टी ने लोकसभा में 22 सीटें जरूर जीती हैं लेकिन वह केवल बंगाल तक ही सीमित है।

इतना ही नहीं, अन्य राज्यों में तृणमूल को 6 फीसद वोट नहीं मिले हैं। ऐसे में तृणमूल को मिले राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा चुनाव आयोग खत्म कर सकता है और यही स्थिति माकपा की भी है। पार्टी को सिर्फ तमिलनाडु में दो लोकसभा सीटें मिली हैं। केरल में माकपा की सरकार होने के बावजूद वहां एक भी लोकसभा सीट जीतने में पार्टी नाकाम रही है। अन्य राज्यों में भी पार्टी को लोकसभा अथवा विधानसभा में छह फीसद वोट नहीं मिले हैं। बंगाल की बात करें तो 42 में से 41 सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। ऐसे में माकपा की भी राष्ट्रीय पार्टी के तौर पर स्वीकार्यता खत्म करने की तैयारी आयोग जुट गया है।

इधर, तृणमूल के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सांसद डेरेक ओब्रायन की मानें तो उन्हें आयोग की इस चिट्ठी को लेकर कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि तृणमूल लंबे समय से चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग कर रही है। आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। ऐसे में उनके नोटिस या कार्रवाई का कोई औचित्य नहीं बनता। वहीं गुरुवार को आयोग सूत्रों ने पुष्टि की है कि अगस्त तक इन तीनों दलों को नोटिस भेजा जा सकता है। 

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