भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रहा बहादुर शाह जफर का वंशज

मुगलों ने सैकड़ों साल हिंदुस्तान पर हुकूमत की। आज उसी वंश का एक शख्स जी-जान से भारतीय संगीत के प्रचार-प्रसार में जुटा हुआ है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 04:00 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:20 AM (IST)
भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रहा बहादुर शाह जफर का वंशज
भारतीय संगीत का प्रचार-प्रसार कर रहा बहादुर शाह जफर का वंशज

इम्तियाज अहमद अंसारी, कोलकाता : मुगलों ने सैकड़ों साल हिंदुस्तान पर हुकूमत की। आज उसी वंश का एक शख्स जी-जान से भारतीय संगीत के प्रचार-प्रसार में जुटा हुआ है। ये हैं संगीतकार मुमताज हुसैन। मुगल काल के अंतिम शासक बहादुर शाह जफर (मिर्जा अबू जफर सिराजुद्दीन मोहम्मद) के मझले बेटे के वंशज। मुमताज हुसैन संगीत से दिलों में मोहब्बत का पैगाम दे रहे हैं। बकौल हुसैन, मुगल काल में संगीत को बेहद सम्मान के नजरिए से देखा जाता था। उस दौर में संगीत की कई विधाएं विकसित हुईं, जो मौजूदा समय में भी चलन में हैं। उस दौर में बादशाह संगीत से लगाव रखते थे। संगीत कलाकारों को राजकीय सम्मान प्राप्त था।

मुगलों का तख्त-ए-ताऊस छूटे करीब 500 साल हो चुके हैं लेकिन हुसैन अपने पूर्वजों की इस परंपरा को बरकरार रखने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। संगीत शिक्षक के तौर पर आज वे देश ही नहीं, विदेशों में भी भारतीय संगीत के प्रचार-प्रसार में जीन-जान से जुटे हुए हैं। इसमें उनकी बीवी मोइत्री चौधरी भी पूरा सहयोग कर रही हैं।

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उनके लिए इबादत से कम नहीं संगीत

हुसैन के लिए संगीत इबादत से कम नहीं हैं या यूं कहे कि उन्होंने संगीत को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया है। खाड़ी देश ओमान में हुसैन और उनकी बीवी इसके प्रसार में पूरी शिद्दत से जुटे हुए हैं। यह दंपती वहा शास्त्रीय संगीत सिखाता है। हुसैन ने बंगाल के ब‌र्द्धमान राज कालेज से संगीत में बी.एससी किया। इसके बाद कोलकाता स्थित रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से संगीत में ग्रेजुएशन व मास्टर डिग्री हासिल की। फिर रामकृष्ण मिशन में बतौर संगीत शिक्षक वषरें बच्चों को संगीत की बारीकिया सिखाईं।

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ब‌र्द्धमान में सन् 1858 से है परिवार

हुसैन ने कहा-'सन् 1857 में भारत में आजादी की पहली आजादी में अहम भूमिका निभाने वाले बहादुर शाह जफर को अंग्रेजों के हाथों मिली हार के बाद बर्मा (वर्तमान में म्यामार) भेज दिया गया जबकि उनके परिवार के बाकी लोगों को खत्म करने के लिए अंग्रेज उन्हें ढूंढने लगे। अंग्रेजों से बचने के लिए परिवार के सदस्य गुप्त स्थानों में शरण लेने लगे। उसी दौरान बहादुर शाह के मझले बेटे का परिवार दिल्ली से भागकर ब‌र्द्धंमान जिले के शक्तिगढ़ आ गया और यहीं रहने लगा। 1858 से मेरे पूर्वज यहा रह रहे हैं। कई दशकों तक गुप्त रूप से रहने को मजबूर थे। अंग्रेजों के डर से उन्होंने पाच से छह दशकों तक अपना परिचय बाहरी दुनिया से छुपाकर रखा।' हुसैन का परिवार आज भी शक्तिगढ़ में रहता है।

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कोलकाता से भी है परिवार का जुड़ाव

मुमताज हुसैन ने बताया-'मुगल काल में संगीत का काफी विकास हुआ। उनकी दादी जाहिदा खातून को भी संगीत से बेहद प्यार था। एक जमाने में हमारे परिवार के कुछ लोग कोलकाता में रहा करते थे। दादी भी कोलकाता में ही रहती थीं। उन्होंने काजी नजरूल से संगीत की तालीम हासिल की थी। कोलकाता में हमारे परिवार का पानी के जहाज से जुड़ा व्यवसाय था। कोलकाता के कई स्थानों पर हमारे परिवार की संपत्ति थी। फियर्स लेन में स्थित संपत्ति दान कर दी गई, जहा अब स्कूल चल रहा है।'

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