सेल के कोलकाता में कच्ची सामग्री प्रभाग के विघटन का काम पूरा, निर्णय समीक्षा की अब गुंजाइश नहीं : मंत्री
बंगाल सरकार और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्र से आरएमडी समाप्त नहीं करने का आग्रह किया था। सेल के निदेशक मंडल ने कुछ महीने पहले पुनर्गठन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी। उस समय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे।
राज्य ब्यूरो, कोलकाता । केंद्रीय इस्पात मंत्री राम चंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की भारतीय इस्पात प्राधिकरण (सेल) के कोलकाता में कच्चा सामग्री प्रभाग (आएमडी) मुख्यालय को भंग करने का काम पूरा हो चुका है और अब इसकी समीक्षा की कोई गुंजाइश नहीं है। इसके साथ इस मामले में निर्णय बदलने की उम्मीद समाप्त हो गई है।
दरअसल, बंगाल सरकार और राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने केंद्र से आरएमडी समाप्त नहीं करने का आग्रह किया था। सेल के निदेशक मंडल ने कुछ महीने पहले पुनर्गठन कार्यक्रम को मंजूरी दे दी थी। उस समय इस्पात मंत्री धर्मेंद्र प्रधान थे। आरएमडी खदानों का नियंत्रण ओड़िशा में राउरकेला इस्पात संयंत्र और झारखंड में बोकारो इस्पात संयंत्र को स्थानांतरित किये जाएंगे। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी स्थिति क्या है।
एमएसटीसी का यहां न्यूटाउन में नए मुख्यालय के उद्घाटान के दौरान बातचीत में सिंह ने कहा, यह पुनर्गठन प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे सेल निदेशक मंडल ने मंजूरी दी है और अब कार्यबल के साथ स्थानांतरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अत: फैसले की समीक्षा की कोई गुंजाइश नहीं है। इस कदम से सेल को सालाना 40 करोड़ रुपये की बचत होगी।
इधर, केंद्रीय इस्पात मंत्री के इस बयान के बाद इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस केंद्र के खिलाफ हमलावर हो सकती हैं। तृणमूल कांग्रेस ने पिछले दिनों काफी जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाया था। गौरतलब है कि आरएमडी में काम करने वाले कर्मचारियों के समूह ने पिछले दिनों इसे भंग किए जाने की आशंका को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस मामले में हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी।
उन्होंने इस फैसले से यहां काम करने वाले संविदा कर्मचारियों के नौकरी जाने की आशंका जताई थी। इसके बाद बंगाल सरकार ने केंद्र से आरएमडी मुख्यालय को कोलकाता से कहीं और स्थानांतरित नहीं करने की अपील की थी।