सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ तिरपाल चोरी मामले की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट में पूरी, फैसला सुरक्षित

इस मामले में सुवेंदु के अलावा उनके भाई भी आरोपित हैं।सुवेंदु ने हाईकोर्ट में अपील कर कहा था कि उनके खिलाफ जितने भी मामले दायर किए गए उन्हें या तो बरी कर दिया जाए या फिर जांच का जिम्मा सीबीआइ को दिया जाए क्योंकि राज्य पुलिस पर उन्हें भरोसा नहीं।

By Priti JhaEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 09:28 AM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 09:28 AM (IST)
सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ तिरपाल चोरी मामले की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट में पूरी, फैसला सुरक्षित
नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी

राज्य ब्यूरो, कोलकाता। नंदीग्राम से भाजपा विधायक व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी के खिलाफ दायर किए गए तिरपाल चोरी के मुकदमे की सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट में पूरी हो गई है। अदालत ने फिलहाल अपना फैसला सुरक्षित रखा है। इस मामले में सुवेंदु के अलावा उनके भाई सौमेंदु अधिकारी भी आरोपित हैं।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सुवेंदु अधिकारी की तरफ से अदालत से अपील की गई थी कि उन्हें इस मामले से बरी कर दिया जाए क्योंकि उनके खिलाफ यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित होकर किया गया है। राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्त ने इसका कड़ा विरोध किया था। सुवेंदु के अधिवक्ता की तरफ से अदालत में दलील पेश करते हुए कहा गया था कि उनके मुवक्किल के खिलाफ तिरपाल चोरी को लेकर थाने में जो एफआइआर दर्ज कराया गया है, उसमें सीधे तौर पर तिरपाल चोरी का आरोप नहीं लगाया गया है बल्कि तिरपाल चोरीकिए जाने की आशंका जताई गई है। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।

मालूम हो कि सुवेंदु ने कुछ दिन पहले हाई कोर्ट में अपील करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ जितने भी मामले दायर किए गए हैं, उन सबमें उन्हें या तो बरी कर दिया जाए या फिर उन सभी मामले की जांच का जिम्मा सीबीआइ को सौंप दिया जाए क्योंकि राज्य की पुलिस पर उन्हें भरोसा नहीं है। पुलिस सत्ताधारी दल के निर्देश पर काम कर रही है। भाजपा में शामिल होने के बाद से ही उन्हें विभिन्न मामलों में फंसाने की कोशिश की जा रही है। सुवेंदु के अधिवक्ता ने कहा कि मुकुल राय जब तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे, तब उन्हें भी सत्ताधारी दल की तरफ से विभिन्न मामलों में फंसाने की कोशिश की गई थी। अब यही हथकंडा उनके मुवक्किल के मामले में अपनाया जा रहा है। 

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