ममता ने कहा- हम आपके साथ हैं और आपके साथ रहेंगे

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव नतीजे खास कर त्रिपुरा में भाजपा की शानदार जीत को देखने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Mon, 05 Mar 2018 11:34 AM (IST) Updated:Mon, 05 Mar 2018 05:19 PM (IST)
ममता ने कहा- हम आपके साथ हैं और आपके साथ रहेंगे
ममता ने कहा- हम आपके साथ हैं और आपके साथ रहेंगे

कोलकाता, जेएनएन। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव से फोन पर बातचीत की और भाजपा व कांग्रेस दोनों के विकल्प के रूप में तीसरे मोर्चे के तौर पर आगे आने को कहा। सुश्री बनर्जी ने तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) प्रमुख को यह कहने के लिए फोन किया कि वे समान विचारधारा वाली पार्टियों को एक साथ लाने में उनके साथ हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय के मुताबिक ममता ने उन्हें बताया कि वह पूरी तरह से उनके साथ सहमत हैं और उनके साथ काम करने के लिए तैयार हैं। सुश्री बनर्जी ने कहा कि हम आपके साथ हैं और आपके साथ रहेंगे।

यहां बता दें कि चंद्रशेखर राव की नजरें राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश पर टिकी हुई हैं। शनिवार को ही तेलंगाना राष्ट्रीय समिति संसदीय बोर्ड की बैठक की अध्यक्षता के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राव ने कहा था कि वह समान विचारधारा वाली राजनीतिक पार्टियों के साथ एक साझा मंच के गठन की संभावना पर दूसरे नेताओं के साथ विचार-विमर्श कर रहे हैं।

दूसरी ओर, झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी राव को फोन कर एकजुटता के प्रति इच्छा प्रकट की थी। सोरेन ने राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के केसीआर के फैसले का स्वागत भी किया था। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के दो सांसद और अन्य क्षेत्र से जुड़े लोग भी राव के समर्थन में आते दिखाई दे रहे हैं।

वहीं, जानकारों की राय में देश में वाममोर्चा के अंतिम गढ़ रहे त्रिपुरा के चुनावी नतीजे पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के लिए खतरे की घंटी हैं। त्रिपुरा में महज पांच साल के भीतर शून्य से शिखर तक पहुंचने वाली भाजपा ने जिस तरह वाममोर्चा के इस लाल किले को ढहा दिया है उसका असर बंगाल विधानसभा के वर्ष 2021 के चुनावों पर पड़ने तय है। खासकर तब जबकि भाजपा बीते उपचुनाव में लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रही है और माकपा को पीछे ढकेलते हुए दूसरे स्थान पर काबिज हो रही है। 

भाजपा से भयभीत तृणमूल

पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव नतीजे खास कर त्रिपुरा में भाजपा की शानदार जीत को देखने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की चिंता बढ़ गई है। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस अंदाज में इस पर प्रतिक्रिया दी है उससे उनकी चिंता स्पष्ट झलकती है। ममता ने कहा है कि त्रिपुरा एक छोटा राज्य है। वहां भाजपा की जीत को बड़ा दिखाने की जरूरत नहीं है। जो लोग त्रिपुरा में भाजपा की जीत को बड़ा करके दिखा रहे हैं वे भ्रम में हैं। त्रिपुरा में 25 लाख मतदाता हैं जो पश्चिम बंगाल के एक जिला के बराबर है। बंगाल के हावड़ा जिला में मतदाताओं की संख्या 38 लाख है यानी यहां के एक जिला से भी त्रिपुरा छोटा है। मात्र दो सांसदों वाले राज्य में जीत को लेकर भाजपा उत्साहित है तो वह भ्रम में है।

अमित शाह के भविष्य में बंगाल जीतने के दावे को चुनौती देते हुए ममता ने कहा है कि पहले भाजपा दिल्ली संभाले। बंगाल और ओडि़शा का चुनाव तो अभी बहुत दूर है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक में भी भाजपा हारेगी। 2019 के चुनाव में भाजपा की पराजय निश्चित है।

ममता के इस तरह के राजनीतिक तर्क में उनका आत्मविश्वास कम और परेशानी अधिक झलकती है। भाजपा एक के बाद चुनाव जीतते हुए 20 राज्यों तक पहुंच गई। त्रिपुरा में जिस तरह भाजपा ने करिश्मा दिखाया उसका असर बंगाल की राजनीति पर नहीं पड़ेगा यह सोचना भूल है। सच तो यह है कि पूर्वोत्तर के साथ पूरब में भी भाजपा की लहर तेज हो गई है। अमित शाह ने कहा भी है कि जब तक बंगाल और केरल में भाजपा की जीत नहीं हो जाती तब तक उसका स्वर्णयुग नहीं कहा जा सकता।

शाह के नेतृत्व में जिस तरह भाजपा चुनावी रणनीति पर काम कर रही है उससे वह दिन दूर नहीं कि पश्चिम बंगाल में भी भगवा लहराता दिखेगा। लेकिन त्रिपुरा के चुनाव नतीजा देखकर ममता भी सतर्क हो गई हैं। उन्होंने कहा भी है कि वह अब खुद त्रिपुरा पर ध्यान देंगी यानी राज्य के दो लोकसभा सीटों पर तृणमूल भाजपा को टक्कर देगी। भाजपा को रोकने के लिए ममता अब वामपंथियों और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों को एकजुट करने का प्रयास तेज करें तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी।

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