ठोस कचरे की अपसाइक्लिंग कर बाजार में उतारे सस्ते-सुंदर-टिकाऊ सामान

अभिनव उद्यम ठोस कचरे की अपसाइक्लिंग कर लोगों को सस्ती कीमत पर उत्पाद मुहैया करा रहा, महिलाओं को रोजगार प्रदान कर उन्हें सशक्त भी बना रहा है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 06 Sep 2018 12:54 PM (IST) Updated:Thu, 06 Sep 2018 01:08 PM (IST)
ठोस कचरे की अपसाइक्लिंग कर बाजार में उतारे सस्ते-सुंदर-टिकाऊ सामान
ठोस कचरे की अपसाइक्लिंग कर बाजार में उतारे सस्ते-सुंदर-टिकाऊ सामान

कोलकाता, विशाल श्रेष्ठ। पुरानी जींस, फटे टायर और पिचके टेट्रा पैक, ये भला क्या काम आ सकते हैं? लोग इन्हें फेंकने से पहले सोचते भी नहीं हैं, लेकिन यही चीजें अगर लाजवाब उत्पादों का रूप लेकर आपके पास लौट आएं तो! बेंगलुरु की शैलजा रंगराजन ने इसे साकार किया है। उन्होंने ‘यूज एंड थ्रो’ यानी इस्तेमाल के बाद फेंक देने के बदले ‘यूज एंड रीयूज’ यानी इस्तेमाल के बाद पुन: इस्तेमाल की अवधारणा के साथ ‘रिमेजिंड’ नाम से उद्यम शुरू किया है।

कोलकाता और बेंगलुरु में चल रहा यह अभिनव उद्यम न सिर्फ ठोस कचरे की अपसाइक्लिंग कर लोगों को सस्ती कीमत पर बेहतरीन उत्पाद मुहैया करा रहा है बल्कि महिलाओं को रोजगार प्रदान कर उन्हें सशक्त बनाने में भी अहम भूमिका निभा रहा है। इन महिलाओं ने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें कुछ ऐसा अनोखा करने का मौका मिलेगा। आज वे अपने परिवार का खर्च चला रही हैं।

महीने में डेढ़ टन कचरे की अपसाइक्लिंग
41 वर्षीया शैलजा ने दो साल पहले रिमेजिंड की शुरुआत की थी। उन्होंने बताया, चूंकि मैं ठोस कचरा प्रबंधन के क्षेत्र में स्वैच्छिक रूप से काम कर चुकी हूं इसलिए मेरे दिमाग में हमेशा एक ही बात चलती थी कि इतना ठोस कचरा उत्पन्न क्यों हो रहा है? कचरे को मैनेज करना अलग बात है। मैंने सोचा क्यों न इसकी अपसाइक्लिंग की जाए ताकि इसे फिर से इस्तेमाल किया जा सके। छोटी सी शुरुआत धीरे-धीरे बड़ा आकार लेने लगी है। आज रिमेजिंड 37 महिलाओं को रोजगार प्रदान कर रहा है। इसकी यूनिटों में एक महीने में करीब एक से डेढ़ टन कचरे की अपसाइक्लिंग हो रही है।

क्या-क्या हैं उत्पाद
पुरानी जींस से लैपटॉप बैग, फूड बैग, स्कूल बैग, डोर मैट, कारपेट, कुशन कवर इत्यादि तैयार किए जा रहे हैं। फटे टायरों से भी बैग तैयार किए जा रहे हैं। टेट्रा पैक से आकर्षक पर्स तैयार किए जाते हैं। पुराने कपड़े मिलकर डिजाइनर चादर की शक्ल ले रहे हैं। पुरानी लकड़ी से नए फर्नीचर तैयार किए जाते हैं। कोलकाता में रिमेजिंड का कामकाज देखने वाली देवप्रिया विश्वास ने बताया, कोलकाता में हमारी दो यूनिट हैं। एक कसबा और दूसरी संतोषपुर में है। संतोषपुर यूनिट में इस समय 17 लोग काम कर रहे हैं। इनमें पांच महिलाएं और दो दर्जी शामिल हैं।

देवप्रिया ने बताया कि फटे-पुराने जींस आदि पुराने कपड़े लेकर बर्तन देने वालों से ले लिए जाते हैं। खाली टेट्रा पैक होटलों से जमा किए जाते हैं। ठोस कचरा संग्रह करने का हमारा एक मजबूत सिस्टम है। ठोस कचरे का विभिन्न उत्पाद तैयार करने में इस्तेमाल से पहले उन्हें संक्रमण-मुक्त किया जाता है। यहां तैयार होने वाले उत्पादों की बेंगलुरु के इंदिरा नगर स्थित रिमेजिंड स्टोर से बिक्री की जाती है। इसके अलावा हमारी वेबसाइट के जरिए भी इन्हें बेचा जाता है।

कसबा यूनिट में काम करने वाली सुमित्र गिरि ने बताया, मैं यहां चादर, बैग, कुशन कवर, डायरी, डोरमैट, कॉरपेट इत्यादि तैयार करती हूं। मैंने यहीं आकर इन्हें बनाना सीखा। गौर करने वाली बात यह भी है कि कसबा यूनिट में काम करने वाली सभी महिलाएं दिव्यांग बच्चों की मां हैं। 

विदेश में भी है अच्छी मांग
रिमेजिंड के उत्पादों की नीदरलैंड, आस्ट्रिया, इंग्लैंड, अमेरिका, श्रीलंका समेत विभिन्न देशों में आपूर्ति की जाती है। कोलकाता में होने वाली विभिन्न प्रदर्शनियों में भी यहां के उत्पादों को प्रदर्शित किया जाता है। भारत में भुवनेश्वर और वड़ोदरा में भी जल्द रिमेजिंड के विस्तार की योजना है।

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