West Bengal Vidhan Sabha 2021: बंगाल के चुनावी संग्राम में एक बार फिर से सिंगूर-नंदीग्राम

पूर्व मेदिनीपुर जिले के नंदीग्राम आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले सुवेंदु अधिकारी के भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो जाने से पूर्व मेदिनीपुर जो पिछले लोकसभा चुनाव तक तृणमूल कांग्रेस का गढ़ माना जा रहा था वहां भगवा ब्रिगेड ने सेंध लगा दी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 29 Dec 2020 09:49 AM (IST) Updated:Tue, 29 Dec 2020 02:42 PM (IST)
West Bengal Vidhan Sabha 2021: बंगाल के चुनावी संग्राम में एक बार फिर से सिंगूर-नंदीग्राम
सिंगुर में इस तरह तैयार हुई थी नैनो कार फैक्ट्री, जिसे छोड़ना पड़ा था बंगाल। फाइल

जयकृष्ण वाजपेयी। वर्ष 2021 में संभावित विधानसभा चुनाव से चंद माह पहले एक बार फिर बंगाल के चुनावी संग्राम में सिंगुर और नंदीग्राम लौट आया है। वही सिंगुर जहां करीब 12 वर्ष पहले विपक्ष में रहते हुए ममता बनर्जी ने टाटा मोटर्स की लखटकिया कार (नैनो) फैक्ट्री नहीं लगने दी थी। उस समय रतन टाटा को अपनी नैनो फैक्ट्री समेट कर गुजरात के साणंद जाना पड़ा। अब उसी सिंगुर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उद्योग लगाने की याद आई है। बीते सप्ताह ममता ने वहां कृषि-औद्योगिक हब बनाने की घोषणा की है।

वर्ष 2006-08 में जिस सिंगुर और नंदीग्राम में उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहण के खिलाफ आंदोलन कर वर्ष 2011 में 34 वर्षो के वामपंथी शासन का अंत किया और शपथ लेने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में सिंगुर के किसानों को जमीन लौटाने की घोषणा की, अब वहीं उद्योग लगाने की ममता ने घोषणा की है। आखिरकार इतने वर्षो बाद उन्होंने अचानक सिंगुर में उद्योग लगाने की घोषणा क्यों की? इसे ममता का यूटर्न क्यों नहीं माना जाए? इन सवालों के जवाब तलाशें तो उसमें सिर्फ उनका सियासी हित दिखाई देगा।

दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में हुगली संसदीय सीट पर 2009 और 2014 में कब्जा जमाने वाली तृणमूल कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी से मुंह की खानी पड़ी और इसी संसदीय क्षेत्र में सिंगुर भी आता है। वहीं दूसरी ओर, सिंगुर आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभाने वाले स्थानीय चेहरे और तृणमूल विधायक रवींद्र नाथ भट्टाचार्य और विधायक बेचा राम मन्ना जैसे लोग पार्टी नेतृत्व से अक्सर ही नाराज रहते हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि कई बार इन दोनों ने अपने करीबियों के पास पार्टी छोड़ने तक की बातें कह दी थीं। उधर, नंदीग्राम आंदोलन के पोस्टर ब्वॉय और कद्दावर नेता सुवेंदु अधिकारी भी तृणमूल नेतृत्व से क्षुब्ध होकर भाजपा में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में ममता को सत्ता के सिंहासन पर पहुंचाने वाला सिंगुर और नंदीग्राम एक दशक बाद फिर से सूबे के चुनावी संग्राम का केंद्र बिंदु बन गया है।

यदि हम बंगाल में वर्ष 2006 के सियासी सफरनामा पर नजर डालें तो उस वर्ष तीन बड़ी घटना हुई थी। पहली, विधानसभा चुनाव, जिसमें बुद्धदेव भट्टाचार्य के नेतृत्व में माकपा नीत वाममोर्चा भारी बहुमत के साथ 233 सीटें जीतकर सत्ता पर काबिज हुआ था। दूसरी, टाटा मोटर्स ने सिंगुर में नैनो कार फैक्ट्री लगाने की घोषणा की थी और तत्कालीन वाममोर्चा सरकार ने वहां कुछ माह के भीतर ही 997 एकड़ जमीन अधिग्रहण को अंजाम दे दिया। तीसरी, भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों का आंदोलन और ममता का 25 दिनों की भूख हड़ताल थी। तब के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्या ने वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव से पहले नारा दिया था- कृषि हमारा आधार है और उद्योग हमारा भविष्य। यह नारा उस समय काफी लोकप्रिय हुआ था। परंतु बुद्धदेव भट्टाचार्या टाटा को बंगाल छोड़ने से नहीं रोक पाए। उस समय ममता का- मां, माटी, मानुष का नारा जीत गया। सत्ता बदल गई। हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा लड़कर ममता बनर्जी ने किसानों को जमीन लौटा दी। परंतु अब वही किसान खुश नहीं है। क्योंकि न वहां उद्योग लगा और न ही खेती से पेट चल रहा है। वहां के लोग स्वयं को ठगा हुआ ही महसूस कर रहे हैं।

अब बदले हुए समय को देखते हुए ममता बनर्ती ने नारा दिया है- कृषि हमारा गौरव है और उद्योग संपत्ति है। ममता के इन नारों के शब्द बुद्धदेव भट्टाचार्य से थोड़े अलग जरूर हैं, लेकिन सोच लगभग एक जैसी ही है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बीते सप्ताह गुरुवार को घोषणा की कि सिंगुर में 11 एकड़ जमीन पर कृषि उत्पादों पर आधारित उद्योग लगाए जाएंगे। परंतु सिंगुर के लोग वहां उद्योग लगाने की बातों को मजाक मान रहे हैं।

दरअसल वहां के किसानों से लेकर विपक्षी दल भाजपा, यहां तक कि माकपा के नेता भी कह रहे हैं कि यह सब ममता बनर्जी का चुनावी शिगूफा है। शासन में रहते हुए साढ़े नौ वर्ष बीत चुके हैं और अब चुनाव से कुछ माह पहले उन्हें सिंगुर में उद्योग लगाने का ख्याल आया है। ऐसे में जिस सिंगुर और नंदीग्राम ने ममता को मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचाया, कहीं वही हार की वजह न बन जाए, यह चिंता जरूर उन्हें सता रही होगी।

[स्टेट ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]

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