Bhabanipur By Election: चुनावी मैदान में ममता-प्रियंका-विश्‍वास, जानिए- इनके बीच क्‍या है कॉमन फैक्‍टर

Bhabanipur By Election बहुत सारे लोग हैं जो भवानीपुर में ममता को विजेता के रूप में देख रहे हैं लेकिन स्वयं ममता इस लड़ाई को आसान समझकर नहीं लड़ रही हैं। बुधवार को भवानीपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता ने सभी को पूरा जोर लगाने का कहा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 10:20 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 01:49 PM (IST)
Bhabanipur By Election: चुनावी मैदान में ममता-प्रियंका-विश्‍वास, जानिए- इनके बीच क्‍या है कॉमन फैक्‍टर
करीब 18 वर्ष पहले वकील के रूप में अदालत पहुंचीं ममता बनर्जी। इंटरनेट मीडिया

कोलकाता, जयकृष्ण वाजपेयी। Bhabanipur By Election बंगाल की भवानीपुर विधानसभा सीट पर 30 सितंबर को उपचुनाव होना है। इस चुनावी संग्राम के लिए मैदान सज गया है। एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हैं तो दूसरी ओर भाजपा ने यहां पर एक बार फिर नंदीग्राम दोहराने का बड़ा लक्ष्य अपने सामने रखा है। दोनों पक्ष जहां अपनी-अपनी सेनाएं तैयार कर रहे हैं, वहीं वाममोर्चा के रूप में एक तीसरा फ्रंट भी है। तीनों ने अपने-अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा कर दी है। भाजपा ने युवा नेता प्रियंका टिबड़ेवाल को तो माकपा ने वाममोर्चा सर्मिथत प्रत्याशी के रूप में 31 वर्षीय श्रीजीब विश्वास को मैदान में उतारा है। भले ही तीनों प्रत्याशी अलग-अलग दल, विचारधारा और उम्र के हैं, लेकिन तीनों में एक समानता है। वह समानता कानून की डिग्री है। तीनों ही पार्टियों के प्रत्याशी वकील हैं।

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने पिछले शुक्रवार को जब अपना नामांकन पत्र दाखिल किया तो उन्होंने अपने हलफनामा में लिखा है कि उन्होंने 1982 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के योगेश चंद्र चौधरी कालेज से कानून की डिग्री (एलएलबी) प्राप्त की थी। यही नहीं, वह अक्सर ही कहती रहती हैं कि कोई उन्हें कानून न पढ़ाए, क्योंकि वह भी कानून पढ़ी हैं। 10 जून 2003 को अपने पार्टी कार्यकर्ताओं की जमानत की पैरवी के लिए ममता बनर्ती स्वयं काले रंग का गाउन पहन कर कोलकाता के बैंकशाल कोर्ट पहुंची थीं।

हालांकि राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल करने के बाद वह नियमित रूप से कोर्ट कभी नहीं गईं। परंतु भाजपा प्रत्याशी प्रियंका टिबड़ेवाल और माकपा प्रत्याशी श्रीजीब विश्वास तो पेशे से वकील हैं और ये दोनों नियमित रूप से कोर्ट में मुकदमा लड़ते आ रहे हैं। अब तक ये लोग दूसरों की लड़ाई लड़ने के लिए अदालत का रुख किया करते थे, लेकिन अब इन तीनों वकीलों का चुनावी संग्राम ‘जनता की अदालत’ में है। ये तीनों ही वकील प्रत्याशी अपनी दलीलों व बयानों से जनता रूपी न्यायाधीश को कितना प्रभावित कर पाएंगे, इसका पता तीन अक्टूबर को चलेगा। ममता के लिए घरेलू माहौल है, क्योंकि उनका आवास इसी विधानसभा क्षेत्र में है। ऐसे में उनकी जीत को लेकर किसी को संदेह नहीं है। परंतु भाजपा ने जिस तरह से एक जुझारू व युवा महिला नेत्री को मैदान में उतारा है, वह आसानी से ममता को जीतने देना नहीं चाहती हैं।

इनके बीच कॉमन फैक्‍टर

भवानीपुर से भाजपा प्रत्याशी वकील प्रियंका टिबडे़वाल। 

वाममोर्चा समर्थित माकपा प्रत्याशी श्रीजीब विश्वास। 

करीब 18 वर्ष पहले वकील के रूप में अदालत पहुंचीं ममता बनर्जी।

भले ही प्रियंका की सियासी हैसियत ममता के सामने अधिक नहीं है, लेकिन यह भी सही है कि प्रियंका कम समय में खुद को पार्टी में स्थापित करने में सफल रही हैं। तृणमूल के खिलाफ प्रियंका सिर्फ चुनावी अखाड़े में ही नहीं लड़ रही हैं, वह हाई कोर्ट में भी लड़ रही हैं। इंटाली विधानसभा सीट से चुनाव हारने के तुरंत बाद प्रियंका चुनाव बाद हिंसा को लेकर हाई कोर्ट पहुंच गई थीं। भाजपा की ओर से हिंसा को लेकर जो भी लड़ाई लड़ी जा रही है, उसमें एक वकील के रूप में वह हर मोर्चे पर अग्रिम पंक्ति में खड़ी रही हैं। यही नहीं, हुगली से लेकर बीरभूम जिले तक पार्टी कार्यकर्ताओं की लड़ाई को उन्होंने कोर्ट में लड़ा और उनकी घर वापसी को भी सुनिश्चित कराया। ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि वह ममता के समक्ष किस तरह की चुनौती खड़ी कर पाती हैं।

अब बात माकपा प्रत्याशी की। यह जानने के बाद कि कांग्रेस भवानीपुर में उम्मीदवार नहीं उतारेगी तो वाममोर्चा ने अपना उम्मीदवार उतार दिया। माकपा ने भवानीपुर से पेशे से वकील व युवा चेहरा श्रीजीब विश्वास को प्रत्याशी घोषित किया है। ममता को तो छोड़ दें तो प्रियंका की तुलना में भी श्रीजीब चुनावी मैदान के नए खिलाड़ी हैं। देखने वाली बात होगी कि कोर्ट में लोगों के मुकदमे लड़ने वाले वकील जनता की अदालत में अपना मुकदमा कैसे लड़ते हैं? तीनों प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक सवाल-जवाब से लोगों का दिल किस तरह से जीतने की कोशिश करते हैं और जनता क्या फैसला सुनाती है। बहुत सारे लोग हैं जो भवानीपुर में ममता को विजेता के रूप में देख रहे हैं, लेकिन स्वयं ममता इस लड़ाई को आसान समझकर नहीं लड़ रही हैं। बुधवार को भवानीपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए ममता ने सभी को पूरा जोर लगाने का कहा।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, बंगाल]

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