Bengal Assembly Elections 2021: आधी आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा और टीएमसी में होड़

Bengal Assembly Elections 2021 राज्य के 7.18 करोड़ मतदाताओं में से 3.15 करोड़ महिलाएं हैं। यह ऐसी संख्या है जिसकी कोई भी पार्टी अनदेखी नहीं कर सकती। ऐसे में देखना होगा कि महिला वोटरों का साथ दोनों में से किसे मिलता है?

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 10:34 AM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 02:46 PM (IST)
Bengal Assembly Elections 2021: आधी आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा और टीएमसी में होड़
भाजपा सवाल कर रही है कि क्या सरकार महिला सम्मान खरीद रही है?

कोलकाता, जेएनएन। बंगाल की आधी आबादी को अपने पक्ष में करने के लिए भाजपा और तृणमूल कांग्रेस में होड़ लगी हुई है। इसकी वजह साफ है, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में बंगाल की महिला वोटरों का एक बड़ा समूह भाजपा के पक्ष में मतदान किया था जिसका नतीजा रहा कि पार्टी यहां 42 में से 18 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही। इसी तरह बिहार चुनाव में भी भाजपा के खाते में महिलाओं का वोट अधिक गया। यही वजह है कि आसन्न विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा और तृणमूल कांग्रेस महिला वोटरों को साधने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं। समर्थन हासिल करने की कोशिश के तहत महिलाओं से जुड़े मुद्दे उठाए जा रहे हैं।

राज्य के कुल मतदाताओं में से महिला मतदाताओं की संख्या करीब 49 फीसद है। भाजपा और तृणमूल दोनों एक-दूसरे पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल होने का आरोप लगा रही हैं। साथ ही दोनों पार्टयिां अपनी-अपनी सरकारों द्वारा महिलाओं के लिए शुरू की गईं विकास संबंधी योजनाओं और उपलब्धियां गिना रही हैं। राज्य के 7.18 करोड़ मतदाताओं में से 3.15 करोड़ महिलाएं हैं। यह ऐसी संख्या है जिसकी कोई भी पार्टी अनदेखी नहीं कर सकती। वैसे तो महिला मतदाता तृणमूल कांग्रेस के समर्थन में मजबूती से खड़ी रही हैं, लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनमें से बड़ा समूह भाजपा का समर्थन किया। इसके बाद राज्य में सत्ताधारी पार्टी उन्हें फिर से लुभाने की कोशिश में है।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साल 2019 के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद अपनी सरकार की विकास योजनाओं और भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में वृद्धि को उजागर करने के लिए पार्टी के गैर-राजनीतिक मोर्चे ‘बंगो जननी’ का गठन किया। तृणमूल अपनी सरकार के 10 वर्षो में कन्याश्री, रूपश्री जैसी कई योजनाओं को लागू कर महिलाओं और लड़कियों को लाभ पहुंचाने का दावा कर रही है। वहीं अब स्वास्थ्य साथी (पांच लाख तक मुफ्त इलाज) योजना का विस्तार कर महिला केंद्रित कर दिया है। इस योजना में घर की महिला सदस्यों को प्राथमिकता दी गई है।

भाजपा भी इसमें पीछे नहीं है। वह राज्य में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध के मामलों को लेकर तृणमूल को निशाना बना रही है। भाजपा उज्ज्वला योजना से लेकर अन्य कई केंद्रीय योजनाओं के बारे में बता रही है। वहीं दुष्कर्म पीड़ितों को मुआवजा को लेकर भी ममता सरकार को घेर रही है। भाजपा सवाल कर रही है कि क्या सरकार महिला सम्मान खरीद रही है? 

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