बीरभूम में 81 हजार डेटोनेटर के बाद 300 क्विंटल अमोनिया नाइट्रेट बरामद, जानें कहां कहां होता है इस्तेमाल

वाहन पश्चिम बद्र्धमान जिले के रानीगंज इलाके से बीरभूम जिले के रामपुरहाट जा रहा था। इस मामले में गाड़ी चालक सुनील केउरा को गिरफ्तार किया गया  है। हालांकि आमोनिया नाइट्रेट की बरामदगी के मामले में किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Fri, 01 Jul 2022 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 01 Jul 2022 11:30 PM (IST)
बीरभूम में 81 हजार डेटोनेटर के बाद 300 क्विंटल अमोनिया नाइट्रेट बरामद, जानें कहां कहां होता है इस्तेमाल
गुप्त सूचना के आधार पर एसटीएफ ने छापेमारी की।

राज्य ब्यूरो, कोलकाता : बीरभूम जिले के मोहम्मदबाजार से गुरुवार को 81 हजार डेटोनेटर बरामद होने के अगले ही दिन शुक्रवार सुबह राज्य की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने इसी जिले के नलहाटी के लखनामारा गांव में एक गोदाम में छापेमारी कर 300 क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट और भारी संख्या में डेटोनेटर बरामद किया है। सूत्रों के अनुसार झारखंड की सीमा सेट सटेलखनामारा गांव के एक गोदाम में अमोनियम नाइट्रेट और डेटोनेटर रखे गए थे। गुप्त सूचना के आधार पर एसटीएफ ने छापेमारी की।

अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में किया जाता है। इसलिए पुलिस जांच कर रही है कि इतना अमोनियम नाइट्रेट क्यों जमा किया गया था। वहीं इससे पहले गुरुवार को एसटीएफ ने जिले के सिउड़ी तिलपाड़ा बराज के पास एक वाहन से 81 हजार डेटोनेटर बरामद किए थे। वाहन पश्चिम बद्र्धमान जिले के रानीगंज इलाके से बीरभूम जिले के रामपुरहाट जा रहा था। इस मामले में गाड़ी चालक सुनील केउरा को गिरफ्तार किया गया  है। हालांकि आमोनिया नाइट्रेट की बरामदगी के मामले में किसी की गिरफ्तारी की सूचना नहीं है।

बीरभूम में अक्सर डेटोनेटर व जिलेटिन स्टिक होते रहते हैं बरामद:

बताते चलें कि बीरभूम में अक्सर ही डेटोनेटर व जिलेटिन स्टिक बरामद होते रहते हैं। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि पिछले वर्ष पांच फरवरी, को एक एसयूवी गाड़ी से 25000 डेटोनेटर बरामद किया गया था। इसके कुछ माह बाद ही 21 अक्टूबर को इस जिले से 2600 डेटोनेटर व 5500 जिलेटिन स्टिक बरामद हुए थे। 19 मई 2018 को 50 हजार डेटोनेटर पकड़े गए थे। वहीं 11 जुलाई 2019 को सैकड़ों केजी अमोनिटा नाइट्रेट व 10 हजार के करीब डेटोनेटर जब्त किया गया था। इन बरामदगी के बाद पुलिस अधिकारियों का कहना था कि इन विस्फोटकों का इस्तेमाल पत्थर व कोयला के खदानों होता है।

इस इलाके में पत्थर के काफी खदान है। कहा जाता है कि इक्के-दुक्के पत्थर खदानों को छोड़ अधिकांश पत्थर खदान वालों के पास विस्फोटक के लाइसेंस नहीं है। पत्थर खदानों में ज्यादातर अवैध तरीके से हासिल विस्फोटक का ही उपयोग किया जाता है। हालांकि, अब एसटीएफ इस बात कभी जांच कर रही है कि अमोनिया नाइट्रेट व डेटोनेटर के इस धंधे की तार कहीं किसी आतंकी संगठन या फिर माओवादियों से भी तो नहीं जुड़े हैं। 

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