मतदाता सूची में दर्ज हुआ 16 मानसिक रोगियों का नाम

- पावलभ मानसिक अस्पातल का योगदान - लोकतांत्रिक अधिकार का स्वागत राज्य ब्यूरो, कोलकाता: 16 मानि

By JagranEdited By: Publish:Thu, 31 Jan 2019 10:18 AM (IST) Updated:Thu, 31 Jan 2019 10:18 AM (IST)
मतदाता सूची में दर्ज हुआ 16 मानसिक रोगियों का नाम
मतदाता सूची में दर्ज हुआ 16 मानसिक रोगियों का नाम

- पावलभ मानसिक अस्पातल का योगदान

- लोकतांत्रिक अधिकार का स्वागत

राज्य ब्यूरो, कोलकाता: 16 मानसिक रोगियों का नाम मतदाता सूची में शामिल किया गया है। राज्य में यह पहला मौका है जब मानसिक रोगियों का नाम मतदाता सूची में दर्ज किया गया और उनको मतदाता पहचान पत्र भी बनाया गया है। लेकिन जानकर आश्चर्य होगा कि इन 16 मानसिक रोगियों का पता महानगर के मशहूर पावलभ मानसिक अस्पताल है। अभी भी ये 16 रोगी मानसिक अस्पताल में ही रहते हैं। चुनाव आयोग इन्हें किस आधार पर मतदाता पहचान पत्र जारी किया इसे लेकर अटकलें शुरू हो गई है। सूत्रों के मुताबिक इन 16 मानसिक रोगियों का नाम मतदाता सूची में दर्ज कराने और और मतदाता पहचान पत्र हासिल करने में पावलभ मानसिक अस्तपाल की अहम भूमिका है। पावलभ मानसिक अस्पताल के सुपर गणेश प्रसाद ने कहा कि लंबी चिकित्सा के बाद ये लोग स्वस्थ हो गए हैं। पावलभ अस्पताल इनका ठिकाना जरूर है लेकिन उनका मानसिक संतुलन ठीक है। वे अब सही तरीके से बातचीत भी करते हैं और उनका आचरण व व्यवहार भी स्वभाविक है। लेकिन मुश्किल यह है कि स्वस्थ होने के बावजूद उनको सही ठिकाने पर भेजने में कुछ अड़चनें है। कुछ रोगियों के परिजनों ने जो पता लिखाया है उस पर उन्हें खोजना संभव नहीं हो पाया। शायद परिजनों ने जानबूझ कर पता गलत लिखाया है। कुछ रोगियों के परिजनों का पता चला भी है तो वे वापस घर लाने को तैयार नहीं हैं। मानसिक रोगियों के बारे में उनके परिजनों की गलत धारणा बन गई है। इसलिए अस्पताल स्वस्थ हो चुके रोगियों को रखने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे स्वस्थ हो चुके 60 रोगियों का नाम मतदाता सूची में शामिल करने के लिए चुनाव आयोग के पास आवेदन किया गया था। लेकिन 16 रोगियों का नाम ही दर्ज हो पाया है।

मानवाधिकार कर्मी सुजात भद्र ने पावलभ अस्पताल के 16 रोगियों का नाम मतदाता सूची में शामिल करने का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ हो चुके मानसिक रोगियों को लोकतांत्रिक अधिकार मिलना अच्छी बात है। उन्होंने कहा कि मानसिक रोगियों के प्रति परिजनों की सोच को बदलने की जरूरत है।

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