सिलीगुड़ी विधानभा : लड़ाई चुनावी किंग बनाम किंगमेकर के बीच

-हिदी भाषियों का होगा जिसका साथ उस प्रत्याशी का नहीं पकड़ पाएगा हाथ -नगर निगम के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 03:15 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 03:19 PM (IST)
सिलीगुड़ी विधानभा : लड़ाई चुनावी किंग बनाम किंगमेकर के बीच
सिलीगुड़ी विधानभा : लड़ाई चुनावी किंग बनाम किंगमेकर के बीच

-हिदी भाषियों का होगा साथ, उस प्रत्याशी का नहीं पकड़ पाएगा कोई हाथ

-नगर निगम के 33 वार्डो में 46 का रहेगा मुख्य रोल, भाजपा को पराजित करने के लिए बन रही योजना

-भीतरघात का भय, हर दिन दिख रहा 'दिल मिले ना मिले हाथ मिलाते चलो'

अशोक झा,सिलीगुड़ी : पूर्वोत्तर का प्रवेशद्वार सिलीगुड़ी। यह विधानसभा क्षेत्र कोलकाता के बाद दूसरी उप राजधानी के रुप में चर्चित है। चुनाव के पांचवे चरण में 17 अप्रैल को यहां चुनाव होना है। इस सीट का प्रभाव पूरे उत्तर बंगाल के चुनाव पर पड़ता है। इसलिए यहां की चुनावी लड़ाई चुनावी किंग बनाम किंगमेकर के बीच है। भाजपा को पराजित करने के लिए तृणमूल कांग्रेस के अंदरखाने यह भी तैयारी चल रही है कि डाबग्राम में वह अपना वोट गौतम देव को और सिलीगुड़ी में टीएमसी अपना वोट अशोक नारायण भट्टाचार्य को डालकर भाजपा के वर्चस्व को रोकें। हालांकि इसको लेकर खुलकर कोई नेता कुछ नहीं बोल रहा है। उसके बाद भी चर्चा चारों ओर जोरों पर है। चुनाव में एक बार फिर से संयुक्त मोर्चा के उम्मीदवार के रुप में अशोक नारायण भट्टाचार्य, भाजपा के डॉ शकर घोष, तृणमूल कांग्रेस के ओम प्रकाश मिश्रा, आमरा बंगाली के चयन रंजन गुहा, आरएसपी के निंटू दत्ता, आरपीआई अठावले की पार्टी से छोटन साहा, बहुजन समाजवादी पार्टी के काकली मजूमदार तथा निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में हाबुल घोष चुनावी मैदान में है। यह चुनावी लड़ाई इसलिए चुनावी किंग बनाम किंगमेकर के बीच मानी जा रही है। विधानसभा का पूरा क्षेत्र नगर निगम के मात्र 33 वार्डो तक सीमित है। यहां एक से 30 और 45,46 व 47 वार्ड के मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते है। अबतक इस विधानसभा में कांग्रेस और वाममोर्चा का दबदबा रहा है। विधानसभा चुनाव के किंग माने जाते रहे है 73 वर्षीय अशोक नारायण भट्टाचार्य। वह इसलिए क्योंकि वे 1991 से लगातार वर्ष 2011 को छोड़ यहां के विधानसभा में अपनी जीत दर्ज करायी है। वे 20 वर्षो तक वाममोर्चा शासनकाल में शहरी विकास मंत्री व एसजेडीए के चेयरमैन के रुप में काम किया। पिछली लोकसभा चुनाव में स्थिति बदलती नजर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी जो 2016 के विधानसभा चुनाव में अशोक नारायण भट्टाचार्य ने 78 हजार 54 वोट पाया था। जबकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से भारतीय फुटबॉल के कप्तान बाइचुंग भूटिया को मात्र 63 हजार 982 वोट पर संतोष करना पड़ा था।

यह है विधानसभा की वर्तमान स्थिति

इस वर्ष विधानसभा में इस वर्ष कुल मतदाताओं की संख्या है 2 लाख 24 हजार 886 है। इसमें पुरुष मतदाता 114349 तथा महिला मतदाताओं की संख्या 110531है। इसमें एक लाख के करीब हिदीभाषी मतदाताओं की संख्या है। सबसे ज्यादा वोटर वार्ड 46 में 25 हजार 500 है। इसलिए ही हिदीभाषी पर तृणमूल कांग्रेस ने दांव खेला है। वार्ड 46 में जिस पार्टी के प्रत्याशी ने वोटबैंक पर कब्जा कर लिया। उसका चुनावी बैतरनी पार होना तय है। हिदी भाषियों में नेपाली, आदिवासी, मुस्लिम,मारवाड़ी, बिहारी व अन्य समुदाय जो हिदी बोलते है आते है। कहते है कि जिस प्रत्याशी के साथ हिदीभाषियों का साथ, उसे जीतने से रोकने से पकड़ नहीं सकता हाथ। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अबतक इस विधानसभा के किंग रहे अशोक नारायण भट्टाचार्य हिदी भाषियों के मतों से इस कुर्सी पर काबिज होते रहे है। विरोधियों के बीच तो अभी भी उनके नाम के आगे भट्टाचार्य के बदले अग्रवाल तक कहा जाता है। वर्ष 2011 में हिदीभाषियों ने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी डाक्टर रुद्रनाथ भट्टाचार्य का साथ दिया था वे विधायक बने थे। इस बार भी कमोवेश स्थित ऐसी ही है।

बदल गये है किंगमेकर

लंबे अर्से से अशोक भट्टाचार्य के साथ किंगमेकर रहे शंकर घोष वाम को छोड़कर राम में शामिल होकर भाजपा के टिकट पर उनके खिलाफ चुनावी मैदान में ताक ठोक दिया है। इतना ही नहीं तृणमूल कांग्रेस की ओर से स्थानीय किसी नेता को टिकट नहीं देकर जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ओम प्रकाश मिश्रा को मैदान में उतारा गया है। इसको लेकर भी पार्टी के अंदरखाने काफी रोष है। इतना ही नहीं भाजपा की अपनी शक्ति के साथ तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आने वाले नांटू पाल, जोत्सना अग्रवाल, दीपक शील, महेन्द्र अग्रवाल समेत 12 हजार से ज्यादा परिवार भाजपा के साथ जुड़े है। इसके बावजूद यहां दिल मिले या ना मिले हाथ मिलाते चलो के साथ चुनावी रैली में लोगों को देखा जाता है। ये सभी चुनावी किंगमेकर अपने पार्टी में माने जाते रहे है। देखना होगा कि इस वार बोलवाला किंग का ही रहता है या किंगमेकर का।

यहां की विशेषताएं

इस विधानसभा की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पूरी तरह व्यापारिक मंडी और बाजारों पर निर्भर है। यहां मतदाताओं का प्रमुख धंधा अपना कारोबार या उससे जुड़े रोजगार है। इसके साथ ही स्वास्थ्य व शिक्षा का हब भी माना जाता है।

महत्वपूर्ण नेताओं की होड़

यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा यहां चुनावी सभा और रोड़ शो करने आ रहे है। इसके पहले मनोज तिवारी, स्मृति इरानी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आदि आ चुके है। तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी स्वयं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी यहां चुनाव प्रचार व रोड शो करेंगे। संयुक्त मोर्चा की ओर से अधीर रंजन चौधरी, सूर्यकांत मिश्रा, प्रदीप भट्टाचार्य ने चुनावी जनसभा को संबोधित कर चुके है। इसके अलावा कई और जनसभाएं और रैलियां वामपंथी युवा नेत्री के माध्यम से की जानी है।

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