West Bengal: दार्जिलिंग की हसीन वादियों में महीना गुजारेंगे राज्यपाल

राज्यपाल जगदीप धनखड़ शरद ॠतु का शुरुआती महीना पहाड़ों की रानी के पहलू में गुजारेंगे। दार्जिलिंग की हसीन वादियों के इस प्रवास में उनकी धर्मपत्नी सुदेश धनखड़ भी उनके साथ होंगी। यह दार्जिलिंग सफर महीने भर का होगा। वह दार्जिलिंग स्थित राजभवन में आगामी 30 नवंबर तक ठहरेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 12:44 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 12:44 PM (IST)
West Bengal: दार्जिलिंग की हसीन वादियों में महीना गुजारेंगे राज्यपाल
राज्यपाल अपनी धर्मपत्नी के साथ महीने भर के लिए दार्जिलिंग सफर पर आ रहे हैं।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ शरद ॠतु का शुरुआती महीना पहाड़ों की रानी के पहलू में गुजारेंगे। दार्जिलिंग की हसीन वादियों के इस प्रवास में उनकी धर्मपत्नी सुदेश धनखड़ भी उनके साथ होंगी। खबर है कि राज्यपाल अपनी धर्मपत्नी के साथ महीने भर के लिए दार्जिलिंग सफर पर आ रहे हैं।

मिली जानकारी के अनुसार आगामी एक नवंबर को वह यहां दार्जिलिंग आएंगे। उनका यह दार्जिलिंग सफर महीने भर का होगा। वह दार्जिलिंग स्थित राजभवन में आगामी 30 नवंबर तक ठहरेंगे। यहां आगमन के पहले ही दिन एक नवंबर को राज्यपाल सिलीगुड़ी स्थित राजकीय अतिथि निवास में पत्रकार सम्मेलन भी करेंगे। उसके बाद महीने भर के लिए दार्जिलिंग रवाना हो जाएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान राज्याल पहाड़ के कई राजनेताओं संग भेंट करेंगे। इसके साथ ही वह विभिन्न जनजातियों के बीच जा कर भी उनकी संस्कृति से रू-ब-रू होंगे।

राज्यपाल के इस दार्जिलिंग सफर को खास रूप में देखा जा रहा है। वजह यह है कि पहाड़ पर इन दिनों बहुत ही उथल-पुथल मची है। ठंडी में भी गर्मी जैसे हालात हैं। नई सदी में दार्जिलिंग पहाड़ के गोरखाओं के आंदोलन के सबसे प्रभावशाली नेता, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष बिमल गुरुंग के लगभग तीन सालों तक भूमिगत रहने के बाद फिर से सार्वजनिक जीवन में कदम रखने को लेकर और दार्जिलिंग वापस लौटने की खबरों के मद्देनजर पहाड़ पर नई हलचल पैदा हो गई है। कभी भाजपा के बेहद करीबी रहे बिमल गुरुंग अब तृणमूल कांग्रेस के पाले में जा खड़े हुए हैं। इसे लेकर पहाड़ पर उनके समर्थन और विरोध दोनों की राजनीति चरम पर पहुंच गई है। इसी बीच राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी वहां जा रहे हैं। वह भी एक-दो दिन नहीं बल्कि पूरे महीने भर के लिए। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं। 

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