आस्था के साथ गोपाष्टमी पर की जा रही है गायों की पूजा

गोपाष्टमी पर गायों को विशेष तौर पर गुड़ और चना खिलाया गया। गायों को श्रृंगार किया गया। साधारण सभा आयोजित की जाएगी। गौशाला में गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर गायों की पूजा की गई। गोपाष्टमी ब्रज में संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है।

By Preeti jhaEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 12:09 PM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 12:09 PM (IST)
आस्था के साथ गोपाष्टमी पर की जा रही है गायों की पूजा
गौशाला में देखी गई श्रद्धालुओं की भीड़।

सिलीगुड़ी, जागरण संवाददाता। शहर में आस्था के साथ गोपाष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। इस मौके पर गायों की पूजा की गई। श्री दार्जिलिंग सिलीगुड़ी गौशाला, बाबूपाड़ा की ओर से इस अवसर पर प्रभात फेरी निकाली गई। जो स्थानीय गौशाला से शुरू होकर एस एफ रोड, खालपड़ा सहित विभिन्न गली और चौराहों से होते हुए गुजरी। सुबह से ही गौशाला में श्रद्धालुओं की भीड़ देखी गई।

इस मौके पर गायों को विशेष तौर पर गुड़ और चना खिलाया गया। गायों को श्रृंगार किया गया। साधारण सभा आयोजित की जाएगी। तीन बती मोड़ स्थित गौशाला में भी गोपाष्टमी पर्व मनाया गया। इस अवसर पर गायों की पूजा की गई। वहीं सालासर सेवाश्रम में भी गोपाष्टमी पर्व मनाया जा रहा है। गायों के लिए एक शेड बनाई गई है। जिसका शुभारंभ आज हुआ। इसके अलावा स्थानीय मंडली के द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। उल्लेखनीय है कि गोपाष्टमी पर्व का प्रमुख उद्देश्य है गो वर्धन करना।

शास्त्रों में कहा गया है कि गौ सबकी माता है। यहां तक कि जैन, बौद्ध, सिख आदि धर्म संप्रदाय भी गौ के प्रति आदर का भाव रखते हैं। गोपाष्टमी ब्रज में संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप,गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। आठवें दिन इंद्र अहंकार रहित होकर भगवान की शरण में आए। कामधेनु ने श्री कृष्ण का अभिषेक किया और इसी दिन से इसका नाम गोविंद पड़ा। इसी दिन से गोपाष्टमी पर्व मनाया जाने लगा। 

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