अरे भाई जब आपने कह दिया तो वोट पक्का..

-बिहार असम नेपाल भूटान व बांग्लादेश से आ रहे दनादन फोन जागरण संवाददाता सिलीगुड़ी

By JagranEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 06:06 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 07:47 PM (IST)
अरे भाई जब आपने कह दिया तो वोट पक्का..
अरे भाई जब आपने कह दिया तो वोट पक्का..

चुनावी चक्कर

-मतदाताओं के रवैये से प्रत्याशियों का दिमाग चकराया

-जो प्रचार के लिए जा रहे हैं उसी को वोट देने का वादा

-रातनीतिक दलों ने भी वोट मांगने का अपनाया नया तरीका

-बाहर से जान-पहचान वालों से करवा रहे हैं फोन जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी :

विधानसभा चुनाव के चौथे चरण का चुनाव उत्तर बंगाल में शनिवार को होगा। इसके बाद 17, 22 और 26 को उत्तर बंगाल के सीमावर्ती जिलों में मतदान होंगे। इस चुनाव में मजे की बात है कि मतदाताओं को उसके जानने वाले या प्रभावशाली व्यक्ति बिहार, नेपाल, भूटान, असम और यहां तक कि बांग्लादेश से भी फोन कर रहे हैं। सिलीगुड़ी के नया बाजार निवासी को असम से आए फोन में एक पार्टी के पक्ष में वोट देने की बात कही गयी। फोन पर बात करने वाले व्यवसायी ने कहा अरे भाई साहब जब आपने कह दिया तो वोट पक्का हो गया। यह चुनाव का संबंध हमलोगों के बीच तो नहीं बल्कि वर्षो पुराना संबंध है। इतना ही नहीं मतदाताओं को रिझाने के लिए इन दिनों मोबाइल का भी सहारा लिया जा रहा है। उत्तर बंगाल में कुल आठ लोकसभा क्षेत्र के 54 विधानसभा क्षेत्र में होना है। यही हाल हिल्स, तराई और डुवार्स के साथ बांग्लादेश नेपाल और भुटान सीमावर्ती क्षेत्र में देखा जा रहे है। यहां भी अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग पार्टी के समर्थन में वोट मांगे जा रहे है। मतदाताओं के पास जो भी दल के प्रत्याशी जा रहे हैं उसे वे आपके साथ ही हैं का भरोसा दे रहे है। इस तरह से कहें तो शहर के मतदाताओं को दिमाग पढ़ना काफी मुश्किल हो गया है। जो उम्मीदवार वोट मांगने के लिए जा रहा है,उसी को वोट देने की बात कर देते हैं। मतदताओं के रवैये से उम्मीदवारों का भी सिर चकराया हुआ है। चुनावी गणित में अपनी जीत के लिए प्रत्याशी अब ज्यादातर मतदाताओं से मोबाइल से ही वोट मांग रहे हैं। इसमें न जो जान का जोखिम है और शारीरिक मेहनत। अब शायद ऐसा कोई ही परिवार होगा जिसके पास मोबाइल नहीं है।

इसके अलावा कुछ दलों के समर्थकों द्वारा अफवाहें भी फैलाई जा रही है। यह बताया जा रहा है कि मतदान केंद्रों में ऐसा गुप्त कैमरा लगा होगा जिससे पता चल जाएगा कि वोट किसे मिल रहा है। इस प्रकार की अफवाह से ग्रामीण इलाके के मतदाता पशोपेश में हैं और इसकी शिकायत अपने नेताओं तक पहुंचा रहे हैं। इतना ही नहीं बिहार के तर्ज पर यहां भी जात-पात की राजनीति हावी हो गयी है। यहां जिस जाति में जिसका दबदबा है उसके साथ बैठक कर वोट बटोरने की कोशिश की जा रही है।

इसका सीधा फायदा प्रत्याशी उठा रहे है। वीडियो कॉल के माध्यम से तो प्रत्याशी उसके पास नहीं जाकर भी आमने-सामने बात कर रहे हैं। कई प्रत्याशियों और नेताओं से बात करने पर पता चला कि वोटरों से वार्डो में चुनाव प्रचार हाइटेक हो गया है। कोई मतदाता अगर आनाकानी करता है तो पास बैठे नेताओं से उनकी सीधी बातें करवा दी जा रही है। वोट मागने तथा मतदाताओं से समर्थन मागने के तरीके बदल गए हैं। यह पढ़कर पाठकों को आश्चर्य भी लगे कि बंगाल में मतदाताओं से मोबाइल के माध्यम से वोट मांगा जा रहा है। बंगाल के मतदाताओं के रिश्तेदार जो बंगाल के बाहर है उसे भी अपने पक्ष में वोट डलवाने के लिए आग्रह किया जा रहा है।

ग्रुप बनाकर भी चुनाव प्रचार

साधारण उम्मीदवार जहा गली-गली नाप रहे हैं, वहीं संपन्न प्रत्याशी मोबाइल के माध्यम से मतदाताओं से समर्थन माग रहे हैं। मतदाताओं पर अपना प्रभाव कायम करने के लिए इलाके के बड़े नामचीन लोगों का साथ लिया जा रहा है। प्रत्याशी व्हाट्सअप गु्रप बनाकर अपनी गतिविधियों को बता रहे हैं। मतदाताओं पर प्रभाव डालने के लिए मोहल्ले की बड़ी हस्तियों को शामिल किया जा रहा है। दो मई को चुनाव का परिणाम आना है। मतदाता पर्ची बांटने का काम भी शुरू

प्रत्याशी बनने के साथ ही गांव और शहर की एक-एक गलियों को प्रत्याशियों ने नाप लिया है। प्रत्याशियों की ओर से अभी से मतदाता पर्ची तैयार किया जा रहा है। गांव में प्रत्याशी खुद पर्ची को बाटने को कह रहे है तो कई जगह उनके समर्थक। प्रत्याशियों के पक्ष में उनके पार्टी के नेताओं द्वारा भी समर्थन जुटाए जा रहे हैं। प्रत्याशियों की ओर से लुभावने वायदे भी किए जा रहे हैं। दलगत आधार पर चुनाव होने से एक-एक वार्ड में विचारधारा की लड़ाई हावी हो रही है। बाहर के आए प्रत्याशी खुद का क्षेत्र से कनेक्शन जोड़कर लोगों के बीच जा रहे है। टिकट चाहिए तो वोट दिलाओ

इतना ही नहीं नेताओं ने सभी बूथ स्तर के नेताओं को स्पष्ट कहा है कि अगर उनके बूथ में वोट कम मिले तो उन्हें आने वाले दिनों में पार्षद या पंचायत चुनाव में टिकट नहीं मिलने वाला है। इसके बाद भी पार्टी के अंदर भीतरघात का खेल तेज हो गया है। जो अपने पार्षद को ही हराना चाहते हैं वे अपने वार्ड में उन्हें पराजित कराकर उनका टिकट कटवाने की कोशिश में लगे है।

chat bot
आपका साथी