जिसका कोई नहीं उसका तो अमित सरकार है यारो

शोषण के विरुद्ध अधिकार स्वतंत्रता के सारथी ----------------------- - किन्नरों को मुख्य धार

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 06:41 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 06:41 PM (IST)
जिसका कोई नहीं उसका तो अमित सरकार  है यारो
जिसका कोई नहीं उसका तो अमित सरकार है यारो

शोषण के विरुद्ध अधिकार : स्वतंत्रता के सारथी

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- किन्नरों को मुख्य धारा में शामिल करने की लड़ी लड़ाई

- उनको भी बचाया जिनका शोषण कर रहा था जमाना

-रेड लाइट एरिया से लड़कियों को उबारने की कोशिश

अशोक झा, सिलीगुड़ी : किसी शायर ने क्या खूब कहा कि किसी की जिंदगी का मजाक न बनाओ यारो, जिंदगी कभी धोखा देती है तो कभी मौका देती है। समाज का अभिन्न हिस्सा व तीसरी श्रेणी में गिने जाने वाले किन्नरों के साथ भले कुदरत ने मजाक किया हो लेकिन एक अधिवक्ता ऐसे भी रहे जिन्होंने इनके हक की लड़ाई लड़ी और उसे मुकाम तक पहुंचाया। यही वजह है कि समाज में उपेक्षित निगाहों से देखे जाने वाले किन्नर आज जनप्रतिनिधित्व की दावेदारी में खड़े हैं। यह काम कर दिखाया डिस्ट्रिक्ट लीगल एंड फोरम रिसर्च विंग के संयोजक अमित सरकार ने। जिसका कोई नहीं उसका वे हमदर्द बन उनकी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाते है।

उत्तर बंगाल में किसी पीड़ित को न्याय दिलाने में अमित सरकार पीछे नहीं हैं। चाहे वह मुद्दा किन्नरों का हो या चाय बागान के उन श्रमिकों का जो मालिकों के शोषण का लगातार शिकार होते आए हैं। वर्ष 2003 में शहर के किन्नरों को राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने की लड़ाई भी अमित ने लड़ी। उनके संघर्ष का ही यह नतीजा रहा कि किन्नरों का नाम मतदाता सूची में दर्ज हुआ। और तो और किन्नरों ने वार्ड का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुनाव भी लड़ा।

अमित के संघर्षो का ही यह परिणाम है कि बंद चाय बागानों में उच्च न्यायालय के निर्देश पर मेगा लोक अदालत लगाकर मजदूरों की समस्याओं का निदान किया जा रहा है। 20 वर्षो में अमित सरकार अब तक 25 हजार से ज्यादा लोगों को न्याय दिला चुके हैं। वह गांवों में शिविर लगाकर उनको कानूनी अधिकारों की जानकारी देते हैं। यही नहीं सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, कूचबिहार, बालूरघाट के जेलों में बंदियों के जीवन स्तर में सुधार के लिए नाटक का मंचन कराया। श्यामली नामक नाटक के माध्यम से बंदियों को राष्ट्र और समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास किया। वर्ष 2010 से 12 के बीच सिलीगुड़ी, पांजीपाड़ा, कोलकाता, जलपाईगुड़ी और इस्लामपुर के रेड लाइट में दुर्बार समन्वय समिति के माध्यम से कानूनी जागरूकता लाने का काम किया। यहां से बड़ी संख्या में बच्चियों को बाहर निकालकर समाज के मुख्यधारा में लाया गया। 2012 में भारत-नेपाल सीमांत पानीटंकी में चीन की एक युवती जींपींग को पुलिस ने पकड़ा। वह न तो भाषा समझ पा रही थी और न कुछ बता रही थी। उन्होंने उसे कोलकाता स्थित चीनी दूतावास से बातचीत कर कानूनी सहायता से चीन भिजवाया। 2015 में उत्तर बंगाल के बंद चाय बागानों से हो रही मानव तस्करी और स्वास्थ्य को लेकर जनहित याचिका दायर की। इस पर उच्च न्यायालय ने फैसला दिया कि जिला प्रशासन न्याय व्यवस्था से जुड़े लोगों को लेकर मेगा लोक अदालत लगाकर इंसाफ दिलाएं। यह अमित सरकार के संघर्ष का परिणाम था कि अब तक सात मेगा लोक अदालत का आयोजन किया गया। इसके माध्यम से कम से कम 20 हजार श्रमिक परिवारों को उन्हें प्रशासनिक मदद मिली।

500 से अधिक बच्चों को तस्करी से बचाया

अब तक प्रशासन की मदद लेकर 500 से अधिक बच्चों को तस्करी से बचाया। 15 बच्चियों के बाल विवाह के दहलीज से बाहर निकाला। पिछले वर्ष 2016 में एक नाबालिग को शादी का झांसा देकर एनजेपी से असम ले जाया गया। जानकारी मिलने पर न्यायिक मदद से नाबालिग को 2017 के दिसंबर में उद्धार कराया। नक्सलबाड़ी की एक लड़की को नेपाल के पासपोर्ट पर दुबई ले जाकर बेच दिया गया है। उसे नारकीय स्थिति से उबारने के लिए आज भी वह संघर्ष कर रहे हैं। उसे वापस लाने के लिए सरकारी स्तर पर प्रयास जारी हैं। अभी गत माह नक्सलबाड़ी, मदारीहाट, कोलकाता समेत अन्य स्थानों की उन 10 वृद्धाओं को उनका हक दिलाया, जो अपनों की ही दी हुई पीड़ा से कराह रहीं थीं। अभी वे बुजुर्ग व मानव तस्करी के शिकार बच्चे- बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने में लगे है।

एक शिक्षक परिवार में हुआ जन्म

23 जुलाई 1968 में अमित सरकार का जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा से 12वीं की शिक्षा सिलीगुड़ी सरकारी विद्यालय में प्राप्त कर दिल्ली से उन्होंने कानून की डिग्री ली। वहां से लौटने के बाद वह खेलकूद, सामाजिक संगठनों तथा महकमा क्रीड़ा परिषद से जुड़े रहे। इसी बीच बच्चों और महिलाओं से जुड़ी सुरक्षा को लेकर बारीकी से समझा। उसके बाद वे वर्ष 2000 में डिस्ट्रिक्ट लीगल एड फोरम से जुड़ गये। कई बार वह अपनी सेवाओं को लेकर सामाजिक व प्रशासनिक स्तर पर सम्मानित भी हो चुके हैं।

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