चाय श्रमिकों का आंदोलन होगा तेज

- 28 जनवरी को केंद्रीय श्रम मंत्रालय के दल से होगी मुलाकात -पांच फरवरी को भुखा रैली, छह से 48 घंट

By Edited By: Publish:Sun, 25 Jan 2015 07:53 PM (IST) Updated:Sun, 25 Jan 2015 07:53 PM (IST)
चाय श्रमिकों का आंदोलन होगा तेज

- 28 जनवरी को केंद्रीय श्रम मंत्रालय के दल से होगी मुलाकात

-पांच फरवरी को भुखा रैली, छह से 48 घंटे का भुख हड़ताल

-सात फरवरी को त्रिपक्षीय वार्ता की उम्मीद

जागरण संवाददाता, सिलीगुड़ी : चाय श्रमिकों के दैनिक भत्ता बढ़ोत्तरी को लेकर राज्य सरकार की ढुलमूल नीति को देखते हुए रविवार को चाय श्रमिकों के संयुक्त ट्रेड यूनियन ने व्यापक आंदोलन करने का निर्णय लिया है। 24 यूनियनों के प्रतिनिधियों की संपन्न बैठक के बाद संयोजक जिआउल आलम, सुरज सुब्बा, त्रिलोक रोका, अजीत सरकार, चित्तो दे, समीर राय, रामलाल राय, सुनिल राय, राजीव सरकार ,अभिजीत मजुमदार, गौतम घोष, हरिहर आचार्यी, एम के कुमाई, के पी सुब्बा,अमर राई बैठक में मौजूद थे। नेताओं ने कहा कि चाय श्रमिक बड़े आंदोलन का निर्णय लिया है। बनाए गये आंदोलन के अनुसार 28 जनवरी को केंद्रीय श्रम मंत्रालय से एक प्रतिनिधि दल उत्तर बंगाल आ रहा है। यहां वह चाय बगान व श्रमिकों नेताओं से मुलाकात करेगा। संयुक्त फोरम की ओर से भी प्रतिनिधि चाय बगान की समस्या को लेकर उनसे मुलाकात करेगी। इसके बाद पांच फरवरी को सभी चाय बगानों में चाय श्रमिक भुखा रैली निकाल अपने मांग के समर्थन में नारेबाजी करेंगे। छह व सात फरवरी को चाय बगानों में भुख हड़ताल प्रारंभ होगा। सात फरवरी को राज्य सरकार त्रिपक्षीय बैठक होने वाली है। अगर कोई फैसला नहीं होता है तो 20 से 26 फरवरी तक चाय श्रमिक मजदूर यात्रा संकोश से इस्लामपुर तक पदयात्रा निकालेंगे। 28 फरवरी को चाय श्रमिक कोलकाता में जाकर विरोध प्रदर्शन करेगा। राज्यपाल ने समय दिया तो एक प्रतिनिधि दल जाकर उनसे सारी बातों को बताएगा। ट्रेड यूनियन के नेताओं ने पत्रकारों के प्रश्नों का जबाव देते हुए बताया कि प्रदेशों के चाय श्रमिकों के लिए जो सुविधाएं व दैनिक भत्ता मुहैया कराया जा रहा है उसे ही बंगाल में लागू नहीं किया जा रहा है। सरकार मालिक की भाषा में बात करने लगी है। अन्य प्रदेशों के तर्ज पर प्रत्येक श्रमिक को प्रतिदिन 300 रुपये मिलें। आज चाय बगान बंद होने और श्रमिकों के उपर जबरन दबाव का ही नतीजा है कि मजदूर पलायन कर रहे है। मजदूरों को खाद्य सुरक्षा के तहत अनाज मुहैया नहीं कराया जा रहा है।

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