ऐतिहासिक है जामुड़िया का दयाटेश्वर मंदिर

संवाद सूत्र जामुड़िया सावन महीना हिदू धर्म के लोगों के लिए काफी पावन माना जाता है। श्रावण म

By JagranEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 11:12 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 11:12 PM (IST)
ऐतिहासिक है जामुड़िया का दयाटेश्वर मंदिर
ऐतिहासिक है जामुड़िया का दयाटेश्वर मंदिर

संवाद सूत्र, जामुड़िया : सावन महीना हिदू धर्म के लोगों के लिए काफी पावन माना जाता है। श्रावण मास में पूरे महीने भगवान शिव की आराधना की जाती है। श्रावण महीने के प्रत्येक सोमवार को शिवलिग पर जल अर्पित किया जाता है। पूरे भारतवर्ष में भगवान शिव के एक से बढ़कर एक मंदिर स्थापित है। कोयलांचल के जामुड़िया स्थित दयाटेश्वर शिव मंदिर काफी प्राचीन एवं ऐतिहासिक है। इस मंदिर से जुड़ी कई सारी ऐतिहासिक कहानियां हैं। मंदिर आसनसोल से शहर से करीब 14 किलोमीटर दूर जामुड़िया से बाराबनी जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाले जंगल में स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर कई विशाल वट वृक्ष है।

मंदिर के पुजारी पिनाकी प्रसाद मुखर्जी ने बताया कि मंदिर 1300 इसवी पूर्व में मुगल शासन काल के वक्त बनाया गया था। उस वक्त इस क्षेत्र में ग्वाला रहा करते थे। ग्वालों के पास कई गाय हुआ करती थी, जिनका दूध निकालकर वे बेचा करते थे। ग्वाले अपनी गाय चराने के लिए अक्सर इस जंगल में आया करते थे। किसी ग्वाले की एक गाय ने अचानक से दूध देना बंद कर दिया। जिस पर ग्वाले को शक हुआ कि जंगल में चारा चरते वक्त कोई मेरी गाय का दूध निकाल लेता है। एक दिन उसने उस गाय पर नजर रखी एवं देखा कि गाय जंगल में जाकर एक स्थान पर खड़ी हो जाती थी जहां उसके थन से खुद व खुद दूध गिर जाता था। ऐसा देखकर ग्वाला अचंभित रह गया। अचानक से उसी रात ग्वाले को एक दैविक स्वप्न आया एवं सपने में किसी दैवी शक्ति ने ग्वाले को जंगल के उस स्थान पर शिवलिग होने की बात बताई। अगले दिन ग्वाले ने जंगल के उस स्थान की सफाई करवाई तो उसे एक प्राचीन शिवलिग के दर्शन हुए। तभी से इस शिवलिग को दयाटेश्वर बाबा के नाम से पूजा जाने लगा। जब यह बात ब‌र्द्धमान के तत्कालीन महाराजा को मालूम पड़ी तो महाराजा यहां पहुंचे एवं इस स्थान पर एक सुंदर शिव मंदिर बनाने का फैसला लिया। मंदिर के लिए दान के स्वरूप जमीन को आवंटित कर यहां महाराजा ने इस मंदिर का निर्माण करवाया। उन्होंने बताया कि राजा ने मंदिर की सेवा करने वाले पुजारियों को 575 बीघा जमीन दान दी है जो अभी भी हमारे पास है।

मंदिर के मुख्य पुजारी पर्थ पांडा ने कहा कि इस मंदिर में साल भर भक्त दर्शन करने आते है। श्रावण एवं महाशिवरात्रि के अवसर पर मंदिर का नजारा ही कुछ और होता है। इस समय मंदिर में भक्तों का समागम होता है। आसनसोल नगर निगम की ओर से इस मंदिर के प्रांगण का पक्कीकरण किया गया है। मौजूदा समय में कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर को सरकारी नियमों के अनुसार खोला जा रहा है एवं सरकारी नियमों को मानते हुए तय संख्या में श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत दी जा रही है।

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