जल प्रबंधन ने बदल दी गांव की आर्थिकी

आदर्श सांसद ग्राम पंचायत बौन के राजस्व गांव रायकेलू में पहले सबसे अधिक संकट पानी को लेकर था लेकिन 2019 में सामूहिक श्रमदान से ग्रामीणों ने पेयजल योजना बनाई तो ग्रामीणों की प्यास बुझने के साथ ही गांव की आर्थिकी भी बदल गई। अब ग्रामीण गांव में ही नकदी फसलें भी उगा रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Apr 2021 10:39 PM (IST) Updated:Thu, 29 Apr 2021 10:39 PM (IST)
जल प्रबंधन ने बदल दी गांव की आर्थिकी
जल प्रबंधन ने बदल दी गांव की आर्थिकी

शैलेंद्र गोदियाल, उत्तरकाशी

आदर्श सांसद ग्राम पंचायत बौन के राजस्व गांव रायकेलू में पहले सबसे अधिक संकट पानी को लेकर था, लेकिन 2019 में सामूहिक श्रमदान से ग्रामीणों ने पेयजल योजना बनाई तो ग्रामीणों की प्यास बुझने के साथ ही गांव की आर्थिकी भी बदल गई। अब ग्रामीण गांव में ही नकदी फसलें भी उगा रहे हैं।

जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से 25 किलोमीटर और बौन से तीन किलोमीटर की दूरी पर रायकेलू गांव स्थित है। दो साल पहले तक 13 परिवार वाले रायकेलू में अपनी कोई पेयजल योजना नहीं थी। पानी के लिए ग्रामीणों को डेढ़ किलोमीटर दूर एक प्राकृतिक जलस्त्रोत पर जाना पड़ता था। खुद के लिए और मवेशियों के लिए पानी के इंतजाम में पूरा दिन बीत जाता था। पेयजल योजना के निर्माण के लिए ग्रामीणों ने जल संस्थान और जल निगम के अधिकारियों से भी कई बार गुहार लगाई। सरकारी सिस्टम ने तो नहीं सुना, लेकिन इसी बीच रिलायंस फाउंडेशन के अधिकारी रायकेलू के पेयजल संकट से रूबरू हुए। फिर ग्रामीणों से मिलकर उसी प्राकृतिक स्त्रोत से गांव तक पानी पहुंचाने की योजना बनाई। गांव तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप, सीमेंट, सरिया के लिए रिलायंस फाउंडेशन ने 56 हजार रुपये का सामान उपलब्ध कराया। ग्रामीणों ने 15 दिनों तक सामूहिक श्रमदान किया और घर-घर तक पानी पहुंचाया। यहां तक कि गांव के प्राथमिक विद्यालय में भी ग्रामीणों ने निश्शुल्क पानी का कनेक्शन दिया। पानी की कमी न हो, इसके लिए गांव के पास 20 हजार लीटर का एक टैंक भी बनाया, जिससे इस गांव में 24 घंटे पानी की आपूर्ति हो रही है। अब सामुदायिक पेयजल योजना से घर-घर इतना पानी पहुंच चुका है कि किचन गार्डन की भी सिचाई हो रही है। ग्रामीणों का जो समय पहले पानी के इंतजाम में खर्च होता था, वह नगदी फसलों के उत्पादन में लगाया जा रहा है।

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सरकारी सिस्टम को दिखाया आइना

जल प्रबंधन और आत्मनिर्भर भारत के लिए रायकेलू एक मॉडल गांव है। श्रमदान कर सामूहिक पेयजल योजना बनाने और फिर नगदी फसलों का उत्पादन करने में गांव ने सरकारी सिस्टम को भी आइना दिखाया है। रायकेलू गांव का हर व्यक्ति सामुदायिक जल प्रबंधन को अपनी जिम्मेदारी मानता है। पेयजल योजना की निगरानी के लिए ग्रामीणों ने मां सुरकंडा पेयजल समिति बनाई है। हर परिवार हर महीने 50 रुपये जमा करता है, जिससे भविष्य में कभी पेयजल योजना की मरम्मत करने की जरूरत पड़े तो सरकारी सिस्टम के पीछे न दौड़ना पड़े। इसके अलावा समिति जल स्त्रोत के संरक्षण के लिए हर वर्ष पौधारोपण किया जा रहा है।

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हर परिवार कमाता है 30 हजार

घर-घर पानी पहुंचने के बाद रिलायंस फाउंडेशन ने हर घर में जैविक खाद पिट बनवाया। उन्नत किस्म की सब्जी आदि के बीज उपलब्ध कराए। बीते वर्ष लॉकडाउन के दौरान ग्रामीणों ने मटर, टमाटर, आलू, बींस, भिडी, प्याज, गोभी का अच्छा उत्पादन किया। इस दौरान हर परिवार ने औसतन तीस-तीस हजार रुपये की आमदानी की। जनवरी 2021 से लेकर अप्रैल तक रायकेलू का हर परिवार बीस-बीस हजार रुपये की सब्जी बेच चुका है।

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2019 से पहले हमारा पूरा वक्त पानी के इंतजाम में लग जाता था। लेकिन, अब सारी मुश्किलें आसान हो गई है। बीते वर्ष से सब्जी उत्पादन कर रही हूं, अभी तक सात हजार की लहसुन, 15 हजार के टमाटर और पत्ता गोभी, आठ हजार की प्याज, दस हजार की मटर बेच दी है। सब्जी बेचकर शौचालय बनाया है।

सुशीला देवी, ग्राम रायकेलू

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गांव में सभी परिवार सब्जी उत्पादन कर रहे हैं। इतनी सब्जी हो जाती है कि हर परिवार 25 से 30 हजार रुपये की सब्जियां बेचता भी है और परिवार के लिए भी भरपूर सब्जियां होती हैं। अपने रिश्तेदारों तक भी सब्जी पहुंचाते हैं। यह खुशहाली सामुदायिक पेयजल योजना से संभव हो पायी है। उद्यानीकरण के लिए लघु वित्त एवं साख समूह के तहत एक थ्रेशर मशीन भी खरीदी, जिसका उपयोग ग्रामीण गेहूं धान की मंडाई के लिए करते हैं। इससे महिलाओं के सिर काम का बोझ कम हुआ।

मीना देवी, अध्यक्ष, मां सुरकंडा पेयजल समिति रायकेलू

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