चारधाम यात्रा में दिल दे रहा दगा, अब तक 13 की मौत

चार धाम यात्रा में हार्टअटैक से होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। 28 अप्रैल से शुरू हुई यात्रा में अब तक यह आंकड़ा 13 हो चुका है।

By BhanuEdited By: Publish:Thu, 18 May 2017 10:04 AM (IST) Updated:Fri, 19 May 2017 04:00 AM (IST)
चारधाम यात्रा में दिल दे रहा दगा, अब तक 13 की मौत
चारधाम यात्रा में दिल दे रहा दगा, अब तक 13 की मौत

उत्तरकाशी, [शैलेंद्र गोदियाल]: चार धाम यात्रा में हार्टअटैक से होने वाली मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। 28 अप्रैल से शुरू हुई यात्रा में अब तक यह आंकड़ा 13 हो चुका है। इसमें सर्वाधिक नौ यात्रियों की मौत यमुनोत्री में हुई है, जबकि बदरीनाथ में दो और केदारनाथ में भी दो लोग जान गंवा चुके हैं। 

हालांकि सरकार ने यात्रा मार्ग पर चिकित्सकों को तैनात किया है, लेकिन यात्रियों की संख्या को देखते हुए इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता। स्वास्थ्य विभाग ने 40 चिकित्सकों की तैनाती का प्रस्ताव दिया, लेकिन तैनाती में यह आंकड़ा 25 पर ही सिमट गया। 

इतना ही नहीं अमरनाथ और मानसरोवर यात्रा के उलट चार धाम यात्रा में मेडिकल भी अनिवार्य नहीं है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. डीएस रावत कहते हैं कि विभाग ने यात्रियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। इसमें क्या करें और क्या न करें का उल्लेख है, लेकिन यात्री इस पर ध्यान नहीं देते। दूसरी ओर यात्रियों का आरोप है कि यात्रा मार्गों पर समुचित चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। 

उच्च हिमालय में स्थित बदरीनाथ की समुद्रतल से ऊंचाई 10830, केदारनाथ की 11500, गंगोत्री की 11000 और यमुनोत्री की ऊंचाई 10797 फीट है। ऐसे में यहां तापमान में तेजी से परिवर्तन होता है। इन दिनों यहां दिन का तापमान औसतन 12 से 13 डिग्री सेल्सियस तो रात को शून्य से नीचे भी रिकार्ड किया जा रहा है। 

उत्तरकाशी के मुख्य चिकित्साधिकारी मेजर डॉ. बचन सिंह रावत बताते हैं कि दक्षिण भारत अथवा गरम प्रदेशों से आने वाले यात्रियों का शरीर यहां के मौसम का अभ्यस्त नहीं होता। एक तो ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी और सर्द वातावरण में हाइपोथर्मिया (ठंड के कारण शरीर का तापमान बेहद कम हो जाना) का खतरा बना रहता है।

ऐसे में यहां की परिस्थितियां बजुर्गों के साथ ही हृदय रोगियों, दमा, ब्लड प्रेशर और शुगर के मरीजों के लिए ज्यादा संवेदनशील हैं। वह बताते हैं कि यात्रियों में जागरूकता की कमी है। यही वजह है कि यमुनोत्री के प्रमुख पड़ाव जानकीचट्टी में हर रोज महज 60 से 70 यात्री ही स्वास्थ्य कैंप में जांच के लिए आते हैं।

चिकित्सकों की कमी

यात्रा पर प्रतिदिन औसतन 25 से 30 हजार यात्री आते हैं, लेकिन इनके अनुरुप यात्रा मार्गों पर चिकित्सकों की तैनाती नहीं की गई है। मसलन, बदरीनाथ मार्ग पर स्वास्थ्य विभाग ने शासन से 14 चिकित्सकों की जरूरत बताई, लेकिन मिले सिर्फ सात। 

इसी तरह केदारनाथ में 16 के विपरीत 14, गंगोत्री और यमुनोत्री में पांच-पांच की बजाए दो-दो चिकित्सक तैनात किए गए। विडंबना यह कि इनमें एक भी हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। दरअसल, प्रदेश में हृदय रोग विशेषज्ञों के 42 पदों के सापेक्ष महज एक ही चिकित्सक हैं।  

क्या करें, क्या न करें

डॉ बचन सिंह बताते हैं कि दूसरे प्रदेशों से आने वाले यात्रियों को स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यमुनोत्री आने वाले कई यात्री टी-शर्ट में घूम रहे हैं। जबकि यहां गरम कपड़े पहनने चाहिए। बजुर्ग और अन्य बीमारियों के मरीजों को हेल्थ कैंप में अपना चेकअप अवश्य कराना चाहिए।

सरकार नहीं कर रही जागरूक : यात्री

हैदराबाद से आए 60 साल के जयराज रेड्डी कि बताया कि यमुनोत्री मार्ग पर ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था नहीं है। इसके अलावा मार्ग में कहीं भी ऐसे बोर्ड नहीं दिखे जिनमें दर्शाया गया हो कि वृद्ध यात्रियों को क्या-क्या ध्यान रखना है। उत्तरकाशी में महाराष्ट्र की 56 वर्षीय मीरा बेन ने बताया कि बीते रविवार को उन्होंने यमुनोत्री की यात्रा की, लेकिन उन्हें रास्ते में स्वास्थ्य के कैंप नहीं दिखे। 

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