श्रद्धालुओं ने वरुणा नदी पर लगाई पुण्य की डुबकी

संवाद सहयोगी उत्तरकाशी पौराणिक और एतिहासिक एक दिवसीय पंचकोसी वारुणी यात्रा मंगलवार क

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Apr 2019 06:00 PM (IST) Updated:Tue, 02 Apr 2019 06:00 PM (IST)
श्रद्धालुओं ने वरुणा नदी पर लगाई पुण्य की डुबकी
श्रद्धालुओं ने वरुणा नदी पर लगाई पुण्य की डुबकी

संवाद सहयोगी, उत्तरकाशी : पौराणिक और एतिहासिक एक दिवसीय पंचकोसी वारुणी यात्रा मंगलवार को विधिवत शुरू हुई। त्रयोदशी के दिन शुरू हुई इस यात्रा में सीमांत जिले के कई गांवों से आए हुए सैकड़ों श्रद्धालु ने प्रतिभाग कर पुण्य अर्जित किया। स्कंद पुराण के अनुसार जो श्रद्धालु सच्चे मन से इस यात्रा में शामिल होते हैं, उन्हें एक-एक पग अश्वमेघ की पुण्य प्राप्ति होती है।

मंगलवार को यह यात्रा बड़ेथी स्थित भागीरथी और वरुणानदी के संगम वरुणाघाट से शुभारंभ हुआ। श्रद्धालुओं ने यहां नदी में आस्था की डुबकी और आचमन कर यात्रा के लिए प्रस्थान किया। इसके बाद जयकारों के साथ यात्रा बसुंगा पहुंची, यहां श्रद्धालु ने कंडारेश्वर मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद यात्रा साल्ड पहुंची, जहां श्रद्धालुओं ने जगन्नाथ और अष्टभुजा ज्वाला मंदिर के दर्शन किए। फिर यात्रा ज्ञाणजा पहुंची। ज्ञाणजा में श्रद्धालु ज्ञानेश्वर महादेव और अष्टभुजा ज्वाला मंदिर और व्यास कुंड के दर्शन किए। इसके बाद यात्रा वरुणावत पर्वत के शिखर पर पहुंची, जहां श्रद्धालुओं ने पर्वत के शिखर पर स्थित शिखरेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन किए। फिर यात्रा संग्राली पहुंची और श्रद्धालुओं ने बिमलेश्वर और कंडार देवता मंदिर में दर्शन किए।

इसके बाद यात्रा पाटा होते हुए अस्सी गंगा घाटी संगम गंगोरी पहुंची। यहां से श्रद्धालुओं ने कलक्ट्रेट परिसर के समीप कंडार देवता मंदिर में दर्शन कर यहां से करीब 100 मीटर दूर भगवान काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन कर अपनी यात्रा का विधिवत समापन किया। यात्रा के दौरान हर पड़ावों पर जगह-जगह ग्रामवासियों ने श्रद्धालुओं का भव्य स्वागत किया। पड़ावों में ग्रामीणों ने श्रद्धालुओं के लिए फलाहार, पेयजल आदि की समुचित व्यवस्था कर पुण्य अर्जित किया।

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