89 केंद्रों में लगी साइलेंट आब्जर्वर डिवाइस
भ्रूण हत्या को रोकने के लिए साइलेंट आब्जर्वर डिवाइस लगाने का काम जिले में चल रहा है।
मनीस पांडेय, रुद्रपुर
भ्रूण हत्या को रोकने के लिए साइलेंट आब्जर्वर डिवाइस लगाने का काम जिले में जारी है। अभी तक 89 अल्ट्रासाउंड केंद्रों में यह डिवाइस लगाई जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग कार्यक्रम की निगरानी कर रहा है।
गर्भ में ¨लग की जांच करवाना गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसके बाद भी ¨लग की जांच संबंधी मामले आए दिन में पकड़ में आते रहते हैं। इसके बाद हाईकोर्ट ने सभी अल्ट्रासाउंड मशीनों में साइलेंट आब्जर्वर डिवाइस लगाने का आदेश दिया है। अगस्त 2018 में हाईकोर्ट के आदेश के बाद जिले के 92 निजी अल्ट्रासाउंड केंद्रों में से 89 जगहों पर इसे लगा दिया गया है। जबकि अन्य तीन में यह डिवाइस लगनी बाकी है। सीएमओ शैलजा भट्ट ने बताया कि डिवाइस को मशीन में लगाने के बाद इसे अलग नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह डिवाइस अल्ट्रासाउंड मशीनों में की जाने वाली सभी तरह की जांच को रिकार्ड करता है। जिसे कभी भी निरीक्षण के दौरान चेक किया जा सकता है। सीएमओ ने बताया कि 25 हजार रुपये कीमत की इस डिवाइस को लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। अब बिना डिवाइस के नए पंजीकरण भी नहीं किए जाएंगे।
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चार अस्पतालों पर कार्रवाई गर्भ में ¨लग की जांच जैसी अनियमितता मिलने पर अभी तक जिले के चार चिकित्सा केंद्रों पर कार्रवाई की गई है। सीएमओ शैलजा भट्ट ने बताया कि जिले का बृजलाल हास्पिटल सितारगंज, खन्ना अस्पताल काशीपुर, अनन्या काशीपुर व सूरजमल अस्पताल किच्छा को सीज किया गया है। ---इनसेट----
तीन से पांच साल की जेल
¨लग प्रतिषेध अधिनियम 1994 में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना तथा दुबारा ऐसी गलती करने पर पांच साल तक जेल और एक लाख जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि ¨लग जांच के लिए किसी भी प्रकार का इश्तिहार दंडनीय है, इसमें तीन साल तक जेल या दस हजार तक का जुर्माना है। ---वर्जन----
साइलेंट आब्जर्वर डिवाइस ¨लग प्रतिषेध का बेहतर उपाय है। इसे जिले के सभी सरकारी व निजी केंद्रों में सख्ती से लागू किया जा रहा है। जिले के 92 में से 89 केंद्रों पर डिवाइस लगाई जा चुकी है।
-डॉ. शैलजा भट्ट, सीएमओ, ऊधम¨सह नगर