नकदी खेती को टिहरी के खुशीराम ने दी नई पहचान, पढ़िए पूरी खबर

खुशीराम डबराल ने टिहरी जिले में नकदी फसलों को नई पहचान दी है। खुशीराम 80 नाली भूमि में नकदी फसलें उगाकार स्वरोजगार को तो बढ़ावा दे ही रहे हैं।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Fri, 27 Dec 2019 05:01 PM (IST) Updated:Fri, 27 Dec 2019 05:01 PM (IST)
नकदी खेती को टिहरी के खुशीराम ने दी नई पहचान, पढ़िए पूरी खबर
नकदी खेती को टिहरी के खुशीराम ने दी नई पहचान, पढ़िए पूरी खबर

नई टिहरी, मधुसूदन बहुगुणा। चंबा ब्लॉक के चोपड़ियाल गांव निवासी प्रगतिशील किसान खुशीराम डबराल ने टिहरी जिले में नकदी फसलों को नई पहचान दी है। खुशीराम 80 नाली भूमि में नकदी फसलें उगाकार स्वरोजगार को तो बढ़ावा दे ही रहे हैं, स्थानीय महिलाओं को रोजगार के साथ आधुनिक खेती का प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। उनके उत्पादों के विदेशों में रहे प्रवासी उत्तराखंडी तक मुरीद हैं। इस साल वह सात लाख रुपये की सब्जियां बेच चुके हैं।

सुविधाओं के अभाव में खेती से विमुख होने वालों को 53-वर्षीय खुशीराम आईना दिखा रहे हैं। परिवार के खेती से जुड़े होने के कारण खुशीराम ने भी इंटर करने के बाद खेती को ही रोजी का जरिया बनाया। वर्ष 2002 से उन्होंने असिंचित भूमि में नकदी फसलें उगाना शुरू किया और आज वह क्षेत्र के समृद्ध काश्तकारों में शुमार हैं। बकौल खुशीराम, 'बीते वर्ष तक मैं सालाना चार से पांच लाख की सब्जियां बेचता था।

इस बार इसमें दो लाख का इजाफा हुआ है।' खुशीराम बंदगोभी, फूलगोभी, टमाटर, शिमला मिर्च, ब्रोकली, पहाड़ी ककड़ी, खीरा, मटर, राजमा आदि का उत्पादन कर रहे हैं। इसके लिए इंडियन सोसाइटी ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसोर्स ऑफ डेवलपमेंट की ओर से बीते दस दिसंबर को उन्हें लखनऊ में देवभूमि बागवानी पुरस्कार प्रदान किया गया।वर्षाजल का कर रहे संरक्षण

क्षेत्र में कहीं भी सिंचाई की सुविधा नहीं है। सो, खुशीराम ने वर्षाजल के संरक्षण को 1800 लीटर के तीन टैंक बनाए हैं। खेतों में टपक सिंचाई मशीन भी लगाई गई है, ताकि फसलों को ठीक ढंग से पानी मिलता रहे।

महिलाएं कर रही नकदी फसलों का उत्पादन

कृषि कार्य में खुशीराम गांव की महिलाओं का सहयोग लेते हैं। इससे सीजन में हर महिला को 40 हजार रुपये तक कमा लेती है। उनसे आधुनिक खेती का प्रशिक्षण लेकर छह परिवारों ने नकदी फसलें उगानी शुरू कर दी हैं।विशेषज्ञ भी जुटाते हैं जानकारी

बीते 16 सितंबर को कनाडा से कृषि विशेषज्ञों की टीम ने चोपडिय़ाल गांव पहुंचकर खुशीराम से नकदी फसल उगाने के तरीकों की जानकारी ली। औद्यानिकी एवं वानिकी विवि केरानीचौरी परिसर के वैज्ञानिक भी समय-समय पर उनकी खेती का निरीक्षण करने आते रहते हैं।

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बोले अधिकारी

टिहरी के जिला उद्यान अधिकारी डॉ. डीके तिवारी का कहना है कि फसलों को अतिवृष्टि व रोगों से बचाने के लिए खुशीराम को विभाग ने दो पॉलीहाउस दिए हैं। उन्हें बीज भी दिए जाते हैं। फसलों की सुरक्षा को घेरबाड़ की व्यवस्था भी की गई है।

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