रोमांच के शौकीनों को अब रास्ता भटकने का खतरा नहीं, सहस्त्रताल रूट को किया जीपीएस ट्रैक लॉक

रोमांच के शौकीनों को अब रास्ता भटकने का खतरा नहीं रहेगा। टिहरी वन विभाग ने जिले में पहली बार किसी ट्रैक रूट को जीपीएस ट्रैक लॉक किया है। 30 किमी लंबे कुश कल्याणी-सहस्त्रताल ट्रैक रूट पर जाने के लिए अभी तक कोई सीधा रास्ता नहीं था।

By Edited By: Publish:Wed, 14 Oct 2020 03:01 AM (IST) Updated:Wed, 14 Oct 2020 11:04 PM (IST)
रोमांच के शौकीनों को अब रास्ता भटकने का खतरा नहीं, सहस्त्रताल रूट को किया जीपीएस ट्रैक लॉक
सहस्त्रताल रूट को किया जीपीएस ट्रैक लॉक।

नई टिहरी, अनुराग उनियाल। पहाड़ों को अपने कदमों से नापने वाले रोमांच के शौकीनों को अब रास्ता भटकने का खतरा नहीं रहेगा। टिहरी वन विभाग ने जिले में पहली बार किसी ट्रैक रूट को जीपीएस ट्रैक लॉक किया है। 30 किमी लंबे कुश कल्याणी-सहस्त्रताल ट्रैक रूट पर जाने के लिए अभी तक कोई सीधा रास्ता नहीं था, लेकिन अब वन विभाग ने यहां पर जीपीएस की मदद से ट्रैक रूट तय किया है। इससे पर्यटक और रेस्क्यू दलों को सुविधा मिलेगी। 

टिहरी वन प्रभाग की टीम एक से छह अक्टूबर तक भिलंगना ब्लॉक में 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित कुश कल्याणी-सहस्त्रताल ट्रैक रूट पर रेकी करने गई थी। इस दौरान टीम ने 30 किमी लंबे इस रूट को जीपीएस ट्रैक लॉक किया। अब इस रूट पर जाने वाले पर्यटकों और रेस्क्यू दल के पास सही रास्ते का डिजिटल नक्शा उपलब्ध होगा। अगले चरण में वन विभाग की योजना 18 किमी लंबे पंवालीकांठा बुग्याल रूट को भी जीपीएस ट्रैक लॉक करने की है। 

दुर्लभ वनस्पति का खजाना 

कुश कल्याणी बुग्याल में ब्रह्मकमल, अतीस, कुटकी, कड़वी कुटकी, अर्चा गडनी, मीठा विष, जटामासी, ककोली, गुग्गल, सतवा, हथजड़ी, पुष्करमोल, चोरु, बज्रदंती, रतनजोत जैसी दुर्लभ जड़ी-बूटियों का भंडार है। इसके अलावा हिमालयन थार, हिम तेंदुआ, कस्तूरी मृग, मोनाल भी यहां पाए जाते हैं।

यह भी पढ़ें: Unlock 5.0 में बढ़ा छूट का दायरा, पहाड़ों की तरफ बढ़ने लगा सैलानियों का रुझान; ये हैं पसंदीदा जगह

 

ये है सहस्त्रताल रूट 

जिला मुख्यालय नई टिहरी से बूढ़ाकेदार तक 85 किमी की दूरी वाहन से तय करने के बाद पिंसवाड़ गांव से सात किमी की पैदल दूरी पर कुश कल्याणी पड़ता है। यहां से क्यारकीखाल होते हुए सहस्त्रताल पहुंचा जाता है। क्यारकीखाल की दूरी कुश कल्याणी से नौ किमी है। सहस्त्रताल में कई प्राकृतिक ताल हैं।

टिहरी गढ़वाल के प्रभागीय वनाधिकारी कोको रोसे ने बताया कि अभी तक पर्यटकों और अन्य टीमों के पास सहस्त्रताल जाने वाले रास्ते का डिजिटल मैप नहीं था, लेकिन अब इसे जीपीएस की मदद से तैयार कर लिया गया है। ट्रैक लॉक से रास्ता भटकने का खतरा नहीं रहता।

यह भी पढ़ें: प्रकृति, अध्यात्म और ज्ञान की त्रिवेणी का आनंद है सिटी फॉरेस्ट 'आनंद वन'

chat bot
आपका साथी