सियासत के कारण नहीं मिली किसानों को सुरक्षा, पढ़िए पूरी खबर

टिहरी लोकसभा क्षेत्र के जौनपुर की अगलाड़ नदी में आई बाढ़ से 1400 किसानों की 400 हेक्टेयर सिंचित भूमि बाढ़ में तबाह हो गई थी। इस पर सियासत तो हुई है लेकिन मरहम किसी ने नहीं लगाया।

By Sunil NegiEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 10:35 AM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 10:35 AM (IST)
सियासत के कारण नहीं मिली किसानों को सुरक्षा,  पढ़िए पूरी खबर
सियासत के कारण नहीं मिली किसानों को सुरक्षा, पढ़िए पूरी खबर

टिहरी, मोहन थपलियाल। टिहरी लोकसभा क्षेत्र के जौनपुर की पौराणिक अनूठी परंपरा के वाहक मौण महोत्सव का अस्तित्व अगलाड़ नदी से ही जिंदा है, लेकिन इस नदी के साथ 2013 का खौफनाक मंजर भी जुड़ा हुआ है। जब नदी में आई बाढ़ से 1400 किसानों की 400 हेक्टेयर सिंचित भूमि बाढ़ में तबाह हो गई थी। इन किसानों के सामने आजीविका का संकट बना हुआ है। कुदरत की इस मार के घावों पर सियासत तो हुई है लेकिन मरहम किसी ने नहीं लगाया। 

वर्ष 2013 में भारी बारिश होने के कारण जौनपुर ब्लॉक की अगलाड़, दसजुला नदी, पालीगाड़ नदी में भारी उफान आया। इन तीनों नदियों के संगम स्थल थत्यूड़ में होता है। इसके बाद थत्यूड़ से लेकर यमुना के निकट अगलाड़ पुल तक दोनों ओर इस नदी ने भारी तबाही मचाई। इस नदी में बाढ़ आने से सबसे अधिक नुकसान थत्यूड़ क्षेत्र में हुआ। थत्यूड़ से लेकर यमुना के निकट अगलाड़ पुल तक 400 हेक्टेयर भूमि रेत के मैदान में तब्दील हुई। 

इस बाढ़ ने अगलाड़ घाटी के 200 से अधिक किसानों को तो भूमि हीन ही बना दिया।

जौनपुर ब्लॉक के परोड़ी गांव की गाया देवी कहती है कि बताते हैं कि उनकी एक हेक्टेयर सिंचित भूमि थी। जिससे वे अपने परिवार का भरण पोषण करते थे। यह पूरी भूमि 2013 की बाढ़ में बह गई है। अब उनके पास एक टुकड़ा भी नहीं बचा है। सरकारी स्तर से कुछ मदद मिली, लेकिन, उस धनराशि में छोटा टुकड़ा खरीद पाना भी मुश्किल था। वह धनराशि परिवार के भरण-पोषण में ही खत्म हो गई थी। अब मेहनत मजदूरी कर परिवार का किसी तरह से पालन कर रही हैं। यह स्थिति केवल उन्हीं के सामने नहीं बल्कि 200 से अधिक किसानों के सामने आ गई है। 

परोड़ी गांव निवासी खेमराज कहते हैं कि उनके खेत और मकान सबकुछ आपदा में तबाह हुआ, जो धनराशि मिली उससे आज के समय भी शौचालय भी नहीं बनता है। भूमिहीन के साथ बेघर हो गया हूं। सरकारी स्तर से कुछ काश्तकारों को नाम मात्र का मुआवजा तो दिया, लेकिन न तो भूमि के बदले भूमि दी गई और न इस नदी के दोनों किनारे पर बाढ़ सुरक्षा की दीवार बनाई गई। तत्कालीन मुख्यमंत्री ने बाढ़ सुरक्षा दीवार बनाने की घोषणा की थी। जो आज तक धरातल पर नहीं उतर पायी है। सिंचाई विभाग का दावा है कि बाढ़ सुरक्षा के लिए विभाग ने करीब 14 करोड़ का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन अभी धनराशि नहीं मिली।

जौनपुर ब्लॉक के इन गांवों के ग्रामीणों के खेत हुए तबाह

भवान, रौतुकीवेली, अलमस, उनतड़, तेवा, खेड़ा, थत्यूड़, छनाणगांव, परोड़ी, बेल परोगी, कांडी, बोराड़ी, लगड़ासू, बंगार, क्यारीक्यासी, भुयांसारी, अग्यारना आदि गांव है।

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