कभी बंदी की कगार पर था केंद्र, आज 10 कुंतल रेशम उत्पादन

संवाद सूत्र गुप्तकाशी जहां लोग रोजगार की तलाश के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगा रहे है

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Apr 2019 06:05 PM (IST) Updated:Fri, 26 Apr 2019 06:39 AM (IST)
कभी बंदी की कगार पर था केंद्र, आज 10 कुंतल रेशम उत्पादन
कभी बंदी की कगार पर था केंद्र, आज 10 कुंतल रेशम उत्पादन

संवाद सूत्र, गुप्तकाशी: जहां लोग रोजगार की तलाश के लिए दूसरे शहरों की दौड़ लगा रहे है, वहीं केदारघाटी के नाला में रेशम कीटपालन क्षेत्र में कार्य कर 23 किसान अपनी आर्थिकी को मजबूत कर आगे बढ़ रहे हैं। पिछले छह दशक से यहां पर रेशम उत्पादन का लगातार कार्य किया जा रहा है। केन्द्र में प्रत्येक वर्ष 10 कुंतल से अधिक रेशम का उत्पादन हो रहा है। उत्पादन बढ़ाने के लिए तीन एकड़ भूमि पर शहतूत की खेती भी जा रही है।

केदारघाटी के नाला में स्थित रेशम कीटपालन केन्द्र में नाला, सांकरी, भैंसारी, सिलोंजा, कर्णधार के 23 किसान जुडे हैं। यह केन्द्र आर्थिक विकास में सहयोग प्रदान कर रहा है। जिससे अधिक से अधिक किसानों से रेशम उत्पादन से जोड़ा जा सके। केन्द्र के रेशम प्रभारी अर्जुन सिंह रावत बताते हैं कि दो दशक पूर्व जब वह केन्द्र में आए थे, तो तब केन्द्र बंद होने की कगार पर था। उस समय इस केन्द्र से मात्र पांच किलोग्राम तक ही रेशम का उत्पादन होता था। अब सालभर में 10 कुंतल से अधिक तक रेशम का उत्पादन हो रहा है। जिले में जहां पांच रेशम कीटपालन केन्द्र बंद हो गए हैं। वहीं नाला का कीटपालन केन्द्र काश्तकारों की आजीविका में सुधारने में कार्य कर रहा है। रेशम विभाग की ओर से प्लास्टिक ट्रे, लोहे का रैक, चौपिग नाइफ, चॉपिग बोर्ड निश्शुल्क दिए जाते हैं। रेशम उत्पादन के लिए यहां पर सालाना दो बार मार्च-अप्रैल एवं अगस्त-सितम्बर में डिजिज फ्री अंडे आते हैं। जिनकी पेयरिग करावाने के बाद अंडे से लार्वा तैयार किया जाता है। यह लार्वा सिर्फ शहतूत के पत्ते ही खाता है। इसलिए केन्द्र की तीन एकड़ भूमि पर शहतूत की खेती भी की गई है। रेशम कीट को निश्चित तापमान के बीच रखा जाता है। काश्तकार 30 दिनों तक इसकी देखभाल करते हैं। रेशम कीट से बनने वाले कोकुन से ही रेशम तैयार किया जाता है।

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