तीन वर्षों से बंद पड़ी बरार व गराऊं जल विद्युत परियोजना, सरकार को लग रही करोड़ों की चपत

पिथौरागढ़ की बरार व गराऊं जल विद्युत परियोजना पिछले तीन सालों से ठप पड़ी हुई है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 30 Nov 2020 07:00 AM (IST) Updated:Mon, 30 Nov 2020 07:00 AM (IST)
तीन वर्षों से बंद पड़ी बरार व गराऊं जल विद्युत परियोजना, सरकार को लग रही करोड़ों की चपत
तीन वर्षों से बंद पड़ी बरार व गराऊं जल विद्युत परियोजना, सरकार को लग रही करोड़ों की चपत

थल, जेएनएन: एक ओर जहां उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश के नाम से जाना जाता है और यहां विशालकाय पंचेश्वर जैसे बड़े बांध बनाने पर विचार किया जा रहा है। वहीं, जिले में पहले से चल रही छोटी जल विद्युत परियोजनाएं उपेक्षा के कारण बुरे दौर से गुजर रही हैं। सीमांत जिले में थल व गराऊं की जल विद्युत परियोजना विगत तीन वर्षों से बंद पड़ी हैं। इससे न केवल बिजली उत्पादन कार्य ठप है, वहीं करोड़ों की लागत से बनी योजनाएं दयनीय हालत में पहुंच गई हैं।

थल स्थित 750 किलोवाट की बरार जल विद्युत परियोजना विगत तीन वर्ष से बंद पड़ी हुई है। इस परियोजना से थल क्षेत्र के कई गांवों को बिजली मिलती थी, मगर रखरखाव व ठीक से संचालन नहीं होने पर पांच वर्ष पूर्व सरकार ने तीन मेगावाट से कम क्षमता वाले सभी बिजली परियोजनाओं को जल विद्युत निगम से हटाकर उरेडा को सौंप दिया। उरेड़ा ने सहारनपुर के एक ठेकेदार को परियोजना ठेके पर दे दी। ठेकेदारी पर जाने से यह परियोजना के बुरे दिन शुरू हो गए। धीरे-धीरे यहां बिजली का उत्पादन बंद हो गया। जिन गांवों में यहां से विद्युत आपूर्ति होती थी, उन्हें अब पावर ग्रिड पर निर्भर होना पड़ रहा है। वहीं, 300 किलोवाट क्षमता की गराऊं जल विद्युत परियोजना का तो और अधिक बुरा हाल है। यहां पर भी विगत वर्षो से ताला लटका हुआ है। करोड़ों की लागत से बने भवन व मशीन खराब हो रही हैं। ठेकेदार द्वारा पूर्व में यहां पर रखे गए कर्मचारियों को भी तीन वर्षों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। जिसे लेकर कर्मचारी धरना-प्रदर्शन से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं। बावजूद इसके इस ओर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेंद्र सिंह पांगती ने बताया कि योजना के संचालन को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है, मगर हालत जस के तस बने हुए हैं।

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