1.5 किमी. सड़क के इंतजार में गुजर गए 10 साल, खिन्न ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश

बोराआगर के ग्रामीणों की मात्र 1.5 किमी. सड़क की दस वर्षपुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Dec 2021 10:33 PM (IST) Updated:Thu, 09 Dec 2021 10:33 PM (IST)
1.5 किमी. सड़क के इंतजार में गुजर गए 10 साल, खिन्न ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश
1.5 किमी. सड़क के इंतजार में गुजर गए 10 साल, खिन्न ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर जताया आक्रोश

संवाद सूत्र, बेरीनाग: बोराआगर के ग्रामीणों की मात्र 1.5 किमी. सड़क की दस वर्षपुरानी मांग आज तक पूरी नहीं हो पाई है। शासन-प्रशासन से फरियाद लगाकर थक चुके ग्रामीणों ने गुरुवार को गांव में ही प्रदर्शन कर आक्रोश जताया।

ग्राम प्रधान दीपा देवी की अगुवाई में प्रदर्शन करते हुए ग्रामीणों ने कहा कि मल्ला बोरा आगर से तल्ला बोरा आगर तक डेढ़ किमी. सड़क के लिए ग्रामीण लंबे समय से शासन-प्रशासन के चक्कर काट रहे हैं। ग्रामीणों को सिर्फ कोरे आश्वासन दिए जा रहे हैं। आज तक सड़क की स्वीकृति नहीं मिली है। मजबूर ग्रामीणों को सड़क तक पहुंचने के लिए एक किमी. की खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ रही है। सड़क के अभाव में ग्रामीणों को तमाम परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। सबसे अधिक परेशानी गांव में किसी के बीमार पड़ जाने पर सामने आती है, जब पूरे गांव के लोगों को मरीज में डोली में डालकर सड़क तक पहुंचाना पड़ता है। ग्रामीणों ने कहा कि जल्द उनकी मांग नहीं मानी जाती है तो आंदोलन ही उनके पास एकमात्र विकल्प होगा। प्रदर्शन करने वालों में जगदीश कुमार, महेंद्र कुमार, आनंद प्रसाद, नंदन राम, रोहित कुमार, सुनील कुमार, सुरेश कुमार, कैलाश राम, नवीन राम, तिलराम, राजकुमार आदि शामिल थे। ============ आज भी 16 किमी पैदल चलकर घर पहुंचते हैं कनारवासी

संवाद सूत्र, बरम (पिथौरागढ़) : विधानसभा करीब आ चुके हैं। अस्कोट कस्तूरा मृग विहार से कनार गांव के बाहर हुए भी 10 साल बीत चुके हैं । सड़क से 16 किमी की दूरी पर स्थित कनार गांव के अच्छे दिन अभी भी नहीं आए हैं। जिले का एक मात्र ऐसा गांव हैं जहां तक सड़क का निर्माण करने में कोई भी सरकार पहल नहीं कर रही है।

तहसील बंगापानी का छिपलाकेदार पहाड़ के मध्य में स्थित कनार गांव अभी तक सड़क से वंचित है। यह गांव सड़क से 16 किमी की दूरी पर स्थित है। जौलजीबी-मदकोट-मुनस्यारी मार्ग में बरम नामक स्थान से 16 किमी की दूरी पर स्थित कनार के गांव के ग्रामीण आज भी सदियों की पूर्व की तरह पैदल चलते हैं। किसी के बीमार पड़ने पर दो लकड़ी के डंडों पर बनाई गई डोली या फिर किसी मानव की पीठ सड़क तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस का कार्य करती है।

पूर्व में 28 साल तक ग्रामीणों ने अस्कोट कस्तूरा मृग विहार का दंश झेला। मृग विहार होने के कारण सड़क निर्माण नहीं हुआ। लगभग नौ साल पूर्व यह क्षेत्र कस्तूरा मृग से बाहर हो गया । विगत नौ सालों के बीच भी कनार गांव के लिए सड़क स्वीकृत नहीं हुई है। बीते चुनाव में कनार के अधिकांश मतदाताओं ने सड़क को लेकर मतदान का बहिष्कार किया था। इस बार तो पूर्ण बहिष्कार के आसार लग रहे हैं। लगभग सात की आबादी और साढ़े तीन सौ से अधिक मतदाताओं वाले इस गांव की आवाज सत्ता के गलियारे में दब जाती है।

लगभग एक माह पूर्व तक ग्रामीणो को सड़क की बड़ी आस थी। जौलजीबी मेला का उद्घाटन करने जौलजीबी पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा भी कनार सड़क की घोषणा नहीं किए जाने के बाद अब कनार गांव के ग्रामीणों में गहरी निराशा छा गई है। इस बार ग्रामीण विधानसभा चुनाव में मतदान बहिष्कार का मन बना चुकी है। गांव के युवा आक्रोशित हैं। गांव के युवा भरत सिंह, प्रेम सिंह आदि ने कहा है कि अधिसूचना जारी होने से पूर्व कनार सड़क की स्वीकृति और टेंडर नहीं लगने पर ग्रामीण आगामी रणनीति तय करेंगे।

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