दुनिया में न रहने पर भी दूसरे को जीवन देने की प्रेरणा

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जीते जी समाज की बेहतरी के लिए जुटे रहने वाले लोग मौत के बाद भी अंग

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 10:22 PM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 10:22 PM (IST)
दुनिया में न रहने पर भी दूसरे को जीवन देने की प्रेरणा
दुनिया में न रहने पर भी दूसरे को जीवन देने की प्रेरणा

संवाद सहयोगी, पिथौरागढ़: जीते जी समाज की बेहतरी के लिए जुटे रहने वाले लोग मौत के बाद भी अंगदान के जरिए लोगों को जीवन देने की मुहिम में जुटे हैं। देश में ऐसे तमाम लोग हैं जो इस अभियान को बढ़ा रहे हैं। ऐसे ही लोगों में शामिल हैं पिथौरागढ़ के डा. तारा सिंह। अंगदान के लिए सारी औपचारिकताएं पूरी कर चुके सिंह के प्रयासों से अब जिले के लोग भी अंगदान के लिए आगे आने लगे हैं। हाल ही में जिले में अंगदान की पहली कार्रवाई पूरी हुई है।

पेशे से अधिवक्ता डा. तारा सिंह मूल रू प से मेरठ के रहने वाले हैं। उनकी ससुराल पिथौरागढ़ में हैं। एक दशक पूर्व पिथौरागढ़ आए और यहां उनका सम्पर्क आम लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन लगा देने वाले डा.गुरू कुलानंद कच्चाहारी से उनका सम्पर्क हुआ। उनके सम्पर्क में आने के बाद उन्होंने पिथौरागढ़ में बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, नशा उन्मूलन जैसे अभियान शुरू कर दिए। इसी दौरान उन्होंने अंगदान अभियान की जानकारी ली। उन्होंने इसके तमाम पहलुओं की गहन जानकारी जुटाई और अपने अंगदान कर दिए। इसके बाद उन्होंने इसकी मुहिम छेड़ दी। उनके प्रयासों से दर्जन भर से अधिक लोगों ने अंगदान के लिए इजरू री कार्रवाई पूरी कर दी हैं। कुछ ही समय पूर्व देह त्यागने वाले एक सेवानिवृत्त कर्मचारी ने अपना अंगदान किया। डा. सिंह का कहना है कि हमें देश के महान संत महर्षि दधीचि, राजा शिवि, राजा हरिश्चंद्र, कर्ण से प्रेरणा लेनी चाहिए। जिन्होंने अपना सब कुछ दान कर समाज की भलाई के लिए कार्य किए। उन्होंने कहा कि मृत शरीर के अंग जीवित लोगों के काम आ सकते हैं और इससे कई जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। अंगदान किसी भी मेडिकल कालेज में किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि युवा वर्ग का रू ख इस दिशा में काफी सकारात्मक है। अंगदान पर कानून बनाए सरकार पिथौरागढ़: समाजसेवी डा. तारा सिंह का कहना है कि सरकार अनिवार्य अंगदान कानून बनाए। उन्होंने कहा देश में प्रतिदिन 400 लोग सड़क दुर्घटना में अपना जीवन खो देते हैं। अकाल मृत्यु प्राप्त लोगो के अंगदान को कानूनी रू प से अनिवार्य बनाया जा सकता है। लोग सकारात्मक सोच रखेंगे तो इससे कई लोगों को जीवनदान मिल सकता है। लावारिश लोगों को भी अंगदान कानून के अंतर्गत लाया जा सकता है। रमेश गड़कोटी

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