यहां महिलाओं की मुहिम से जलस्त्रोत को मिली संजीवनी, कभी तरसते थे एक-एक बूंद के लिए

Water Conservation पहाड़ की महिलाओं के समक्ष पेयजल को लेकर कभी-कभी ऐसे हालात बन जाते हैं कि जल की एक-एक बूंद के लिए विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है क्योंकि जल जीवन की महत्वपूर्ण जरूरत के साथ ही कृषि बागवानी व पशुपालन की भी बड़ी आवश्यकता है।

By Edited By: Publish:Mon, 19 Apr 2021 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 10:46 PM (IST)
यहां महिलाओं की मुहिम से जलस्त्रोत को मिली संजीवनी, कभी तरसते थे एक-एक बूंद के लिए
महिलाओं की मुहिम से जलस्त्रोत को मिली संजीवनी।

गुरुवेंद्र नेगी, पौड़ी। Water Conservation पहाड़ की महिलाओं के समक्ष पेयजल को लेकर कभी-कभी ऐसे हालात बन जाते हैं कि जल की एक-एक बूंद के लिए विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि जल जीवन की महत्वपूर्ण जरूरत के साथ ही कृषि, बागवानी व पशुपालन की भी बड़ी आवश्यकता है। धनाऊ मल्ला गांव में पानी की किल्लत बढ़ने लगी तो महिलाओं ने जल संचय के लिए गांव के आसपास करीब 22 चाल-खाल (छोटे तालाब) बनाए। इससे न केवल हरियाली लौटने लगी, बल्कि सूखने की कगार पर पहुंच चुके गांव के प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत रिचार्ज हो गए। 

भविष्य की चिंता को देखते हुए मातृशक्ति ने वर्तमान में ही ऐसे कदम उठाए कि भविष्य मे ग्रामीणों को पेयजल किल्लत का सामना ना करना पड़े। जिला मुख्यालय पौड़ी से करीब 30 किमी की दूरी पर स्थित धनाऊ मल्ला गांव के प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत में शीतकाल में तो पर्याप्त जल आपूर्ति रहती थी, लेकिन प्रति वर्ष ग्रीष्मकाल आरंभ होते ही स्त्रोत में पानी की धार बहुत कम हो जाती थी। ग्रामीणों के लिए यह एक बड़ी समस्या बन गई। वर्ष 2019 में गांव की महिलाओं ने इस समस्या का स्थायी समाधान तलाशने की कवायद शुरू की। यह समस्या तत्कालीन वन पंचायत सरपंच कमल रावत के सम्मुख रखी। तो उन्होंने महिलाओं के चाल-खाल बनाने की पहल पर हामी भर दी। 

छोटे तालाब बनाने की कार्ययोजना बनाई गई। सिविल और सोयम वन प्रभाग पौड़ी की ओर से गांव में चाल-खाल निर्माण के लिए स्थलों का चयन किया गया। मातृशक्ति के सहयोग से कुछ चाल-खाल गांव के आसपास तो कुछ जंगल में बनाए गए। इसके पीछे की मंशा गांव के प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत को वर्ष भर रिचार्ज करना था। जंगल और गांव में पेड़-पौधों के बीच चाल-खाल बनाए तो बारिश के पानी से चाल-खाल भरने लगे। धीरे-धीरे प्राकृतिक पेयजल स्त्रोत रिचार्ज हुआ तो पानी के सूखने की चिंता भी दूर हुई। आज जहां धनाऊ मल्ला गांव में स्त्रोत का पानी बारह महीनों पूरे गांव की पेयजल जरूरत पूरी कर रहा है, वहीं आसपास हरियाली भी लौट आई है। 

जलस्त्रोत में मोटी हुई पानी की धार ग्राम सभा धनाऊ मल्ला के ग्राम प्रधान कमल रावत बताते हैं कि मातृशक्ति के सहयोग से जब से चाल-खाल बनाए गए हैं तब से स्त्रोत में पानी बढ़ा है। गांव की जमुना देवी बताती हैं कि सभी महिलाओं के सहयोग से आज गांव में पानी की चिंता दूर हो गई। लोग भी जल संचय और जल संरक्षण का महत्व समझने लगे हैं। गांव में जल संरक्षण की मातृशक्ति की इस पहल को आसपास के गांवों में भी खूब सराहा गया। 

संघर्ष और मेहनत से मिली सफलता परिवार की पेयजल जरूरत पूरी करने का ज्यादातर जिम्मा महिलाओं पर ही होता है। कृषि और पशुपालन के साथ रोजमर्रा के कार्यो की शुरुआत पानी के बिना अधूरी है। ऐसे में धनाऊ मल्ला गांव को पेयजल संकट से उभारने में महिलाओं की भूमिका महत्वपूर्ण रही। गांव की कुंवारी देवी, जमुना देवी, दिक्का देवी, परमेश्वरी देवी, गीता देवी, विमला देवी, सुमन देवी, आरती देवी, संगीता देवी के संघर्ष और मेहनत के बल पर आज गांव में पानी का संकट नहीं हैं।

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