अधिकारों के प्रति जागरूकता व कर्तव्य बोध भी जरूरी

जागरण संवाददाता श्रीनगर गढ़वाल भारत में अधिकारों की संवैधानिकता और अंतरराष्ट्रीय राजनी

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Nov 2019 06:45 PM (IST) Updated:Wed, 13 Nov 2019 06:45 PM (IST)
अधिकारों के प्रति जागरूकता व कर्तव्य बोध भी जरूरी
अधिकारों के प्रति जागरूकता व कर्तव्य बोध भी जरूरी

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: 'भारत में अधिकारों की संवैधानिकता और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राष्ट्रीय शक्ति' विषय पर आधारित तीन दिवसीय व्याख्यान माला बुधवार से गढ़वाल केंद्रीय विवि के राजनीति विज्ञान विभाग में शुरू हुई। विभाग के सभागार में व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि संवैधानिक अधिकारों को लेकर जागरूकता के साथ ही कर्तव्य बोध होना भी जरूरी है।

बतौर मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध बाबा बलराज कॉलेज के प्रो. सुनील खोसला ने कहा कि हमारा संविधान नागरिकों को बहुत से अधिकार देता है। नागरिकों का जीवन बेहतर बनाने को लेकर नीति निदेशक तत्व के रूप में सरकार के लिए भी संविधान में कुछ जिम्मेदारियां दी गई हैं। उन्होंने कहा कि संविधान से मिले बहुत से ऐसे अधिकार हैं जो जरूरी तो हैं, लेकिन उनका उपयोग हम उस तरह नहीं करते जिस तरह लोकतांत्रिक प्रक्रिया में किया जाना चाहिए। मतदान का अधिकार भी इसी तरह का एक ऐसा अधिकार है और मतदाता बिना सोचे समझे इस अधिकार का उपयोग करते हैं। जबकि पूरा लोकतंत्र ही मतदान के अधिकार पर टिका हुआ है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में राष्ट्रीय शक्ति के संदर्भ में प्रो. खोसला ने कहा कि समय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी राष्ट्रीय शक्ति में बदलाव आता रहता है। देश का सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास होने से अंतरराष्ट्रीय राजनीति में प्रभावशीलता भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि दुनिया के देशों के लिए भारत में एक अच्छा बाजार भी उपलब्ध है और यह विकास में सहायक भी हो सकता है। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. एमएम सेमवाल ने प्रो. खोसला का स्वागत करते हुए व्याख्यान माला के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। गढ़वाल विवि के मानव एवं समाज विज्ञान संकाय के अध्यक्ष प्रो. सीएस सूद ने कहा कि व्याख्यान मालाओं के आयोजन से छात्रों को नए ज्ञान के साथ ही नए विचार भी प्राप्त होंगे, जो उन्हें जीवन में बहुत लाभकारी होंगे। प्रो. आरएन गैरोला, प्रो. हिमांशु बौड़ाई के साथ ही डॉ. गिरीश भट्ट भी इस अवसर पर विशेष रूप से मौजूद थे। शोध छात्र गौरव डिमरी ने व्याख्यान माला का संचालन किया।

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