प्राकृतिक संसाधनों के गलत दोहन से समस्याएं

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय बिड़ला परिसर के मानव विज्ञान विभाग की ओ

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 07:18 PM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 07:18 PM (IST)
प्राकृतिक संसाधनों के गलत दोहन से समस्याएं
प्राकृतिक संसाधनों के गलत दोहन से समस्याएं

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल: गढ़वाल विश्वविद्यालय बिड़ला परिसर के मानव विज्ञान विभाग की ओर से विभाग के प्रथम प्रोफेसर डॉ. आरएस नेगी स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। वक्ताओं ने कहा कि विज्ञान के विकास, बढ़ती आबादी और बढ़ती जरुरतों की पूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों का गलत दोहन होने से समस्याएं बढ़ रही हैं। कहा कि आद्य ऋषियों ने पर्यावरण के महत्व को समझते हुए ही पृथ्वी, जल आकाश, पेड़, वायु को देवता माना था।

व्याख्यानमाला के मुख्य वक्ता और सीमा सुरक्षा बल के पर्यावरण को लेकर ब्रांड एंबेसडर जगत ¨सह चौधरी जंगली ने कहा कि एक बार फिर से भूमि को अपनी माता और स्वयं को उसका पुत्र मानकर प्रकृति के प्रति संवेदनशील होकर अपने भूले बिसरे संस्कारों को वापस लाना होगा। जंगली ने कहा कि मानव की छेड़छाड़ के कारण ही प्रकृति के विभिन्न तत्वों में असंतुलन भी पैदा हो रहा है, जिससे प्राणी जगत विनाश के कगार पर बढ़ रहा है।

गढ़वाल विवि मानव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. विद्या ¨सह चौहान ने कहा कि समाज में पाश्चात्य संस्कृति का बोलबाला बढ़ने से पर्यावरण असंतुलन भी बढ़ रहा है। डॉ. अर¨वद दरमोड़ा ने कहा कि गढ़वाल विवि में मानव विज्ञान विभाग के प्रथम प्रोफेसर आरएस नेगी की स्मृति में शुरू हुई व्याख्यानमाला से प्रेरणा लेते हुए अन्य विभागों को भी इसकी पहल करनी चाहिए। कहा कि चमोली जनपद में जिस समय चिपको आंदोलन चल रहा था उस समय सरकार को अंदेशा था कि कहीं आंदोलन नक्सली रूप नहीं ले ले, इसीलिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उस समय एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के तत्कालीन उपनिदेशक प्रो. आरएस नेगी के नेतृत्व में ही दिल्ली से अध्ययन दल को यहां भेजा था। प्रो. नेगी ने केंद्र सरकार को दी रिपोर्ट में बताया था कि पर्यावरण संरक्षण के लिए ग्रामीण यह आंदोलन कर रहे हैं।

गढ़वाल केंद्रीय विवि के जंतु विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. ओपी गुसाई और प्रौढ़ शिक्षा विभाग के प्रो. संपूर्ण ¨सह रावत ने कहा कि विश्वविद्यालय के अन्य विभागों को भी अपने पूर्व गुरुओं की याद में ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने चाहिए। डॉ. अजयपाल नेगी, डॉ. अनिल नौटियाल, डॉ. पवन बिष्ट, डॉ. नरेंद्र झिल्डियाल, गीता कंडारी, भावना पुंडीर, सुमन भंडारी, दिव्या रावत, अंशी बिष्ट, सोमन बिष्ट, नेहा बाजपेयी, मधु, योगिता ने भी विचार व्यक्त किए।

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