भू-जल की कमी पर शोध समय की जरूरत

कुलपति की पहल पर और विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के अनुमोदन के बाद गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्रों के शोध कार्य पूर्ण हो जाने पर होने वाली पीएचडी की मौखिक परीक्षा अब ऑनलाइन भी होने लगी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 10:23 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 06:12 AM (IST)
भू-जल की कमी पर शोध समय की जरूरत
भू-जल की कमी पर शोध समय की जरूरत

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल : कुलपति की पहल पर और विश्वविद्यालय के एकेडमिक काउंसिल के अनुमोदन के बाद गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोध छात्रों के शोध कार्य पूर्ण हो जाने पर होने वाली पीएचडी की मौखिक परीक्षा अब ऑनलाइन भी होने लगी है। बिड़ला परिसर में शिक्षा विभाग के बाद अब भूगोल विभाग में भी शोधार्थी की पीएचडी मौखिक परीक्षा ऑनलाइन हुई। जिसमें बतौर वाह्य परीक्षक मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर के भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रो. सीमा जालान ने कहा कि भू जल की स्थिति को लेकर शोध कार्य समय की मांग और जरूरत है। प्रो. एचपी भट्ट के दिशा निर्देशन में इस शोध छात्रा ने मेरठ जिले में भू-जल की कमी और वर्षा जल संचयन का विवरण व परिणाम विषय पर शोध कार्य किया। कोविड-19 परिस्थितियों के कारण वर्तमान समय में दिल्ली निवासी शोध छात्रा कृष्णा ने अपनी पीएचडी मौखिक परीक्षा में ऑनलाइन दिल्ली से ही जुड़कर अपना प्रस्तुतिकरण दिया। दो घंटे से भी अधिक समय तक चले इस प्रस्तुतिकरण में विभिन्न स्लाइड्स के माध्यम से उन्होंने भू-जल पर गहरा रहे संकट के कारणों और उसके निवारण पर प्रकाश डाला।

गढ़वाल केंद्रीय विवि के टिहरी परिसर से निर्देशक प्रो. एचपी भट्ट ने बताया कि भूगोल विषय में यह उत्तराखंड की पहली पीएचडी ऑनलाइन मौखिक परीक्षा है। पीएचडी मौखिक परीक्षा ऑनलाइन कराने की अनुमति देकर कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने शोधार्थियों की एक बड़ी समस्या का निदान किया है। इस दौरान गढ़वाल विवि के भूगोल विभाग के प्रो. महावीर सिंह नेगी, प्रो. एनएस पंवार, प्रो. बीपी नैथानी, प्रो. अनीता रुडोला, डॉ. एनपी लखेड़ा, डॉ. राजेश भट्ट ऑनलाइन परीक्षा कार्यक्रम से जुड़े रहे।

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