मानव कल्याण ही हमारे संविधान का मूल आधार

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि मानव कल्याण हमारे संविधान का मूल आधार भी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 10:31 PM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2020 10:31 PM (IST)
मानव कल्याण ही हमारे  संविधान का मूल आधार
मानव कल्याण ही हमारे संविधान का मूल आधार

जागरण संवाददाता, श्रीनगर गढ़वाल:

गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि मानव कल्याण हमारे संविधान का मूल आधार भी है। संविधान का प्रत्येक अनुच्छेद मानव कल्याण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।

भारतीय संविधान में मानव कल्याण के प्रावधान विषय पर संविधान दिवस कार्यक्रम आयोजन कमेटी की ओर से आयोजित ऑनलाइन व्याख्यान माला को संबोधित करते हुए कुलपति ने संविधान में उल्लखित विशेषताओं का जिक्र करते कुलपति ने कहा कि विश्व में हमारा संविधान इसीलिए सर्वश्रेष्ठ भी माना जाता है, जो मानव के अधिकार और कर्तव्य दोनों को निरुपित भी करता है।

नरेंद्रनगर के सिविल जज भूपेंद्र सिंह शाह ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में भी दिए गए मानव कल्याण के प्रावधान इसकी विराटता को भी दर्शाता है। राज्य को बहुत सारी शक्तियां देने के साथ ही संविधान जनता को मौलिक अधिकार देकर राज्य की शक्तियों पर नियंत्रण भी लगाता है। मनरेगा पेंशन योजनाओं का उदाहरण देते सिविल जज भूपेंद्र सिंह शाह ने कहा कि संविधान के मानव कल्याण के प्रावधान योजनाओं में भी प्रलक्षित होते हैं। आयोजन कमेटी के संयोजक प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि कोरोना महामारी से उपजे संकट का सदुपयोग गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आनलाइन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। अधिकारों के साथ ही अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग होने की जरूरत है। प्रो. महावीर सिंह नेगी ने वक्ताओं का स्वागत और डॉ. आरएस फत्र्याल ने आभार व्यक्त किया। प्रो. सीमा धवन ने कार्यक्रम का संचालन किया। प्रो. एमएम सेमवाल ने कहा कि 28 विश्वविद्यालयों से 316 प्रतिभागियों ने गूगल मीट और फेसबुक लाइव के माध्यम से इस व्याख्यान माला के लिए पंजीकरण कराया।

chat bot
आपका साथी