लगातार दो बार नैनीताल से विधायक बनाने के बाद जनता ने तीसरी बार एनडी को हराया भी

उत्तराखंड की जनता ने बड़े-बड़े दिग्ग्जों को जिताकर विधानसभा में पहुंचाने के साथ ही डन्हें हार का चेहरा भी दिखाया है। स्व. एनडी तिवारी उत्तराखंड के ऐसे ही दिग्गज नेताओं में गिने जाते हैं। नैनीताल की जनता ने उन्हें दो बार लगातार जिताने के साथ ही हरया भी था।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Tue, 25 Jan 2022 09:30 AM (IST) Updated:Tue, 25 Jan 2022 09:30 AM (IST)
लगातार दो बार नैनीताल से विधायक बनाने के बाद जनता ने तीसरी बार एनडी को हराया भी
एनडी तिवारी ने 1952 और 1957 में नैनीताल से व‍िधानसभा का चुनाव जीताा था

जागरण संवाददाता, नैनीताल : उत्तराखंड की जनता ने समय-समय पर दिग्गजाें को भी हार का मजाया चखाया है। कुछ ऐसी ही कहानी है पूर्व सीएम और केन्द्रीय मंत्री रहे दिग्गज नेता स्व. एनडी तिवारी की। एनडी को नैनीताल विधानसभा सीट से दो बार विधायक बनने के बाद हार का मुंह भी देखना पड़ा था, जिससे आहत होकर उन्होंने सियासी ठौर बदलकर काशीपुर का रुख कर लिया। 1977 के विस चुनाव में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को केवल 45 सीटों पर जीत मिली। इनमें जीतने वाले हल्द्वानी से देवबहादुर सिंह बिष्ट व काशीपुर से एनडी तिवारी भी थे।

पूर्व पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण बताते हैं कि दिग्गज नेता एनडी तिवारी ने 1952 में सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में, जबकि 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस नेता श्याम लाल वर्मा को पराजित किया। 1962 में एनडी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी से नैनीताल सीट से फिर चुनाव लड़ा लेकिन तब कांग्रेस प्रत्याशी देवेंद्र मेहरा से हार गए। इस हार से एनडी बेहद आहत हुए।

फिर 1964 में उन्होंने कांग्रेस की सदस्यता ली और नैनीताल छोड़कर काशीपुर को सियासी ठिकाना बना लिया। 1967 में एनडी काशीपुर से कांग्रेस से चुनाव लड़े लेकिन प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी रामदत्त जोशी से हार गए। 1977 में चौधरी चरण सिंह ने काशीपुर सीट से अपने रिश्तेदार को टिकट देकर रामदत्त जोशी को नैनीताल से टिकट दे दिया, जोशी यहां से भी चुनाव जीत गए। 1980 में नैनीताल सीट से कांग्रेस के शिव नारायण सिंह नेगी जीते।

तब खटीमा तक थी नैनीताल सीट

पूर्व पालिकाध्यक्ष बताते हैं कि 1974 में नया परिसीमन लागू हुआ, तब नैनीताल सीट में नैनीताल, रामनगर, पीरूमदारा, ओखलकांडा, धारी, रामगढ़, बेतालघाट का इलाका शामिल था। इसके अलावा खटीमा सीट पर पूरनपूर पीलीभीत तक का इलाका शामिल था। बताया कि नैनीताल सीट से पूर्व विधायक किशन सिंह तड़ागी 1984 व 1989 में दो बार, जबकि बंशीधर भगत इकलौते नेता हैं, जो 1991, 1993 व 1996 में जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। राज्य बनने के बाद लगातार दूसरी बार किसी भी दल का विधायक नहीं चुना गया। यह मिथक इस बार टूटता है या बरकरार रहता है, यह देखना दिलचस्प होगा।

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