चीड़ मुर्गी की आवाज ही बन गई उसकी जान की दुश्मन

भीमताल में चीड़ मुर्गी की आवाज ही उसकी दुश्मन बन गई। आज इलाके के जंगल में यह प्रजाति दिखाई नहीं देती।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 17 Nov 2020 04:07 AM (IST) Updated:Tue, 17 Nov 2020 04:07 AM (IST)
चीड़ मुर्गी की आवाज ही बन गई उसकी जान की दुश्मन
चीड़ मुर्गी की आवाज ही बन गई उसकी जान की दुश्मन

संस, भीमताल : चीड़ मुर्गी की आवाज ही उसकी दुश्मन बन गई। दरअसल, संध्या के समय इस प्रजाति का मुर्गा एक विशेष प्रकार की आवाज निकालता है। ऐसे में शिकारियों को इसकी आसानी से भनक लगने पर तेजी से खात्मा होता गया। भीमताल के जंगलों में विशेष प्रकार की यह मुर्गी अब नजर नहीं आती। बताते हैं कि चीड़ मुर्गी का अंतिम जोड़ा भीमताल में 1986 में जून स्टेट के ठाले की धार के जंगलों में देखा गया था।

तीन दशक पूर्व तक चीड़ के जंगलों में घौसला बनाकर रहने वाली कैटरेयुस वालिकी यहां चीड़ मुर्गी के नाम से जानी जाती थी। वन्य जीव जानकार विक्रम कंडारी, नीरज रैकुनी ने बताया कि चीड़ मुर्गी यहां काफी संख्या में पाई जाती थी। करकोटक में भी इसकी मौजूदगी बताई जाती थी। जंगलों में इसकी मौजूदगी का पता शिकारियों को आसानी से चल जाता है। सूत्रों के अनुसार इन मुर्गियों के कुछ जोड़े अब केवल नैनीताल के राजभवन के पिछले इलाके मैं हैं। आम तौर पर चीड़ मुर्गी पाकिस्तान, अफगानिस्तान , ग्रेट हिमालियन नेशनल पार्क में पाई जाती थी। अब हर जगह इसका अस्तित्व खतरे में है। भारत में यह पक्षी वन्य जीव अधिनियम 1972 के शेड्यूल वन में है। यह वह श्रेणी है, जिसमें शेर हाथी और गैंडा जैसे प्राणियों को रखा गया है।

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इंग्लैंड में पालतू है चीड़ मुर्गी

चीड़ मुर्गी हमारे देश में तो विलुप्ति की कगार पर है लेकिन इंग्लैंड के लोगों ने इसे बाहरी देशों से मंगाकर पालतू बनाया है। इतना ही नहीं, 1980 के दशक में व‌र्ल्ड फैजिंट एसोसिएशन ने इस पक्षी पर शोध कार्य भी किया है।

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