सामवेदियों ने यज्ञोपवीत धारण कर बांधी राखी, जानें क्‍या है अलग से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा

सामवेदी तिवारी समाज के लोगों ने हरतालिका पर्व पर शनिवार को रक्षा बंधन मनाया। इस मौके पर बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधी और उनके लंबी उम्र की कामना की।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sat, 22 Aug 2020 04:33 PM (IST) Updated:Sat, 22 Aug 2020 04:33 PM (IST)
सामवेदियों ने यज्ञोपवीत धारण कर बांधी राखी, जानें क्‍या है अलग से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा
सामवेदियों ने यज्ञोपवीत धारण कर बांधी राखी, जानें क्‍या है अलग से रक्षाबंधन मनाने की परंपरा

चम्पावत, जेएनएन : सामवेदी तिवारी समाज के लोगों ने हरतालिका पर्व पर शनिवार को रक्षा बंधन मनाया। इस मौके पर बहनों ने भाइयों की कलाई में राखी बांधी और उनके लंबी उम्र की कामना की। कलाई में राखी बांधने के साथ ही तिवारी लोगों ने परंपरागत तरीके से यज्ञोपवित धारण किया। त्यारकुड़ा के धर्मशिला घाट पर पुरोहित दीपक कुलेठा और कुलदीप कुलेठा ने धार्मिक अनुष्ठान संपन्न कराए। बाद में ललित मोहन तिवारी, हरीश तिवारी, भुवन तिवारी, चंद्रबल्लभ तिवारी, कृष्णानंद तिवारी, मोहन तिवारी, गिरीश तिवारी, पंकज तिवारी, दिनेश तिवारी, नवीन तिवारी आदि ने नई जनेऊ धारण की। टनकपुर में भी सामवेदी ब्राह्मणों ने नई जनेऊ धारण कर राखी बांधी।  जगदीश तिवारी, किशन तिवारी, हरीश तिवारी, मोहन तिवारी, कमलाकांत तिवारी आदि ने घरों में अनुष्ठान कराया।

रक्षाबंधन के दिन राखी न बांधने के पीछे यह है मान्यता 

मां पूर्णागिरि धाम से जुड़े सामवेदी और कोसमनि शाखा के तिवारी समुदाय के लोग रक्षा बंधन के दिन राखी न बांधकर हरतालिका के दिन राखी पर्व मनाते हैं। इसके पीछे मान्यता है कि आदि काल में ब्रह्मा की ओर से यज्ञोपवित बांटते समय इस समुदाय के लोग नहीं पहुंच पाए थे। दूसरी मान्यता यह है कि इस समुदाय के लोग गौतम ऋषि के अनुयायी हैं। एक बार गौतम ऋषि किसी विवाद में उलझ गए और हस्त नक्षत्र का समय निकल गया। बाद में हस्त नक्षत्र भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया यानि हरतालिका के दिन पड़ा। तभी से ये लोग इसी दिन रक्षा बंधन मनाता आ रहे है।

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