माइनर हार्ट अटैक के पेशेंट को कोरोना जांच रिपोर्ट के बिना प्राइवेट हॉस्पिटल ने नहीं किया एडमिट, मौत

माइनर हार्ट अटैक की पुष्टि होने के बाद 77 साल के बुजुर्ग को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया जहां बिना कोरोना जांच रिपोर्ट के उसे भर्ती नहीं किया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Thu, 16 Jul 2020 09:43 PM (IST) Updated:Thu, 16 Jul 2020 09:43 PM (IST)
माइनर हार्ट अटैक के पेशेंट को कोरोना जांच रिपोर्ट के बिना प्राइवेट हॉस्पिटल ने नहीं किया एडमिट, मौत
माइनर हार्ट अटैक के पेशेंट को कोरोना जांच रिपोर्ट के बिना प्राइवेट हॉस्पिटल ने नहीं किया एडमिट, मौत

हल्द्वानी, जेएनएन : आम आदमी की जान एक बार फिर बेदम सिस्टम और बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं की भेंट चढ़ गई। माइनर हार्ट अटैक की पुष्टि होने के बाद 77 साल के बुजुर्ग को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया जहां बिना कोरोना जांच रिपोर्ट के उसे भर्ती नहीं किया गया। कोरोना जांच कराने एसटीएच पहुंचे बुजुर्ग को आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा। लेकिन गुरुवार को जांच रिपोर्ट आने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। नाराज परिजनों ने प्रशासन को इसका जिम्मेदार ठहराते हुए अस्पताल में हंगामा काटा।

शहर के हीरानगर स्थित सतीश कॉलोनी निवासी बुजुर्ग ऊर्जा निगम से सेवानिवृत्त हैं। परिजनों ने बताया कि मंगलवार को उन्हें अचानक सीने में दर्द होने लगा। बेस अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने माइनर हार्ट अटैक की पुष्टि की। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया। जहां कोरोना जांच रिपोर्ट के बिना उन्हें भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद आनन-फानन में एसटीएच ले जाया गया। यहां गंभीर हालत में भर्ती किया गया। इस बीच कोरोना जांच के लिए उनका सैंपल लिया गया। बताया कि बुधवार को उन्हें किसी से पता चला कि कोरोना जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है।

रिपोर्ट मांगी गई तो गुरुवार तक देने की बात कही गई। परिजनों का आरोप था हार्ट अटैक की पुष्टि होने पर मरीज को अच्छे इलाज की जरूरत होती है। इसके लिए उन्होंने बुजुर्ग को दूसरे अस्पताल रेफर करने का अनुरोध किया लेकिन प्रशासन के कड़े कायदे-कानून रोड़ा बन गए। ऐसे में कई दिन तक बेहतर इलाज नहीं मिल सका। कई घंटों तक इलाज न मिल पाने के कारण गुरुवार तड़के सुबह बुजुर्ग की मौत हो गई। कहा कि यदि रिपोर्ट समय पर मिल गई होती तो बुजुर्ग की जान बचाई जा सकती थी।

शव न देने का आरोप

परिजनों का ये भी आरोप था कि बुजुर्ग पुष्पेंद्र की मृत्यु के बाद जब उनका पार्थिव शरीर घर ले जाने की अनुमति भी नहीं मिली। कहा गया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही शव दिया जाएगा। डॉ. अरुण जोशी, एमएस एसटीएच ने बताया कि बुजुर्ग व्यक्ति की गंभीर हालत को देखते हुए आईसीयू में रखा गया था। जहां उसका इलाज चल रहा था। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत उसे रेफर नहीं किया जा सकता था। ये बात परिजनों को बता दी गई थी।

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