भीमताल में प्लास्टिक से हर माह होगा 50 से 70 हजार लीटर डीजल का निर्माण

plastic diesel plant Bhimtal प्लांट के संचालक अक्षत शाह ने बताया कि प्लास्टिक से तैयार डीजल का प्रयोग वाहन के लिए नहीं बल्कि जनरेटर व स्टोब आदि के लिए होगा। इतना ही नहीं करीब छह से आठ हजार पेड़ जो जलाने के लिए काटे जाते हैं उसकी भी बचत होगी।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Sep 2022 05:51 PM (IST) Updated:Tue, 27 Sep 2022 05:51 PM (IST)
भीमताल में प्लास्टिक से हर माह होगा 50 से 70 हजार लीटर डीजल का निर्माण
भीमताल में प्लास्टिक से हर माह होगा 50 से 70 हजार लीटर डीजल का निर्माण

भीमताल, जागरण संवाददाता : पहाड़ पर बिखरे प्लास्टिक को रीसाइकिल कर अब डीजल बनाया जाएगा। इसके लिए नैनीताल के भीमताल में लगे प्लांट का विधिवत शुभारंभ हो चुका है। पहाड़ पर बिखरा कूड़ा कच्चे माल के रूप प्रयोग होने से जहां गंदगी साफ होगी तो डीजल भी सस्ते रेट पर उपलब्ध हो सकेगा।

प्लांट के संचालक अक्षत शाह ने बताया कि प्लास्टिक से तैयार डीजल का प्रयोग वाहन के लिए नहीं बल्कि जनरेटर व स्टोब आदि के लिए होगा। इतना ही नहीं करीब छह से आठ हजार पेड़ जो जलाने के लिए काटे जाते हैं, उसकी भी बचत होगी। प्लांट से हर माह करीब 50 से 70 हजार लीटर डीजल का निर्माण होगा। यह डीजल मार्केट में उपलब्ध डीजल की अपेक्षा काफी कम दाम में उपलब्ध होगा।

हर व्यक्ति औसतन आठ ग्राम प्लास्टिक कचरा रोज निकाल रहा

पर्यावरण संस्थाओं के ताजा आंकड़े देखें तो भारत में प्रति व्यक्ति रोजाना आठ ग्राम प्लास्टिक कचरा निकलता है तो हर शहर में प्रतिमाह लाखों टन के रूप में एकत्रित हो रहा है। ट्रंचिंग ग्राउंड पर लाखों टन कचरे का वैज्ञानिक ढंग से निस्तारण नहीं हो पाने से मीथेन, ईथेन व कार्बन डाई आक्साइड जैसी गैसें भूजल व पर्यावरण के लिये चुनौती बन गई हैं। वैज्ञानिक रिपोर्ट के अनुसार, बढते कार्बन उर्त्सजन के कारण प्रतिवर्ष धरती के तापमान में 0.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो रही है।

क्रूड ऑयल से निकलता है पॉलिमर का कच्चा माल

वैज्ञानिक रिसर्च बताते हैं कि पॉलिथीन पेट्रोलियम उत्पाद ही है, जिसमें कार्बन व हाइड्रोजन की मात्रा अधिक होती है। पॉलिथीन को जलाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा होती है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो पॉलिमर से पॉलिथीन बनती है। पॉलिमर का कच्चा माल क्रूड ऑयल से निकलता है। इसे प्राकृतिक ढंग से 500 से 1000 साल तक खत्म नहीं किया जा सकता।

मौजूदा प्रचलन में भूमि में पॉलिथीन दबाने से मीथेन व ईथेन गैसें निकलती हैं, जिससे भूजल प्रदूषित हो रहा है। इतना ही नहीं, पॉलिथीन से भूमि की अम्लीयता बढ़ जाती है और उर्वरकता कम हो जाती है। इससे जमीन में परत जमा हो जाती है, जिससे भूजल नीचे जाने से रुक जाता है।

ऐसे बनाते हैं प्लास्टिक से डीजल

आईआईटी मद्रास की एक रिपोर्ट के अनुसार, डीजल बनाने के लिये पॉलिथीन कचरे को ऑक्सीजन रहित बंद चैम्बर में रखकर इसे 150 से 450 डिग्री सेल्सियस तक गर्म किया जाता है। 380 से 430 डिग्री ताप पर वाष्पीकृत होकर इसे सामान्य ताप पर कन्डेस कर लेते हैं। इसके बाद फिल्टर करके ईंधन तैयार किया जाता है, जिसमें सल्फर नगण्य होता है। ज्वलनशील होने से यह डीजल की भांति ईंधन का कार्य करता है। इस विधि में 65 प्रतिशत डीजल व 35 प्रतिशत चारकोल तैयार होता है।

देहरादून में भी हो रहा है प्लास्टिक से डीजल उत्पादन

पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.हर्षवर्धन ने 28 अगस्त, 2019 को सीएसआईआर, देहरादून के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम में प्लास्टिक से डीजल बनाने के प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इस प्रोजेक्ट में वैज्ञानिकों ने एक टन प्लास्टिक कचरे से प्रतिदिन 800 लीटर डीजल पैदा करने में सफलता प्राप्त की। गेल इंडिया ने इसमें तकनीकी सहयोग किया।

ऐसे उद्यमों को सरकार कर रही प्रोत्साहित

सांसद अजय भट्ट ने कहा कि इस प्रकार की यूनिटों को सरकार प्रोत्साहित करेगी। औद्योगिक घाटी को दोबारा से आबाद करने का प्रयास सरकार हर स्तर पर कर रही है। विधायक राम सिंह कैड़ा ने बताया कि भीमताल विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पर्यावरण को बचाने के लिए जो मुहिम प्रारंभ की गई है, वह प्रशंसनीय है। सिडकुल की ओर से पूरे क्षेत्र मैं उद्योग लगाने का आश्वासन दिया गया है, इससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा और पलायन की रफ्तार थमेगी।

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