पहाड़ से जुडऩे की मुहिम : इंटरनेट मीडिया पर चले म्योर पहाड़ मेरी पछ्यांण अभियान के दो साल पूरे

पहाड़ की दुश्वारी व चुनौतियों से पार पाकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए नाम करने वालों से नई-पुरानी पीढ़ी को उनके संघर्ष से परिचित कराने की पहल काफी पसंद की गई। म्योर पहाड़ मेरि पछ्यांण अभियान के दो साल पूरे होने पर लोग रविवार को हल्द्वानी में जुटे।

By Skand ShuklaEdited By: Publish:Sun, 26 Jun 2022 09:39 PM (IST) Updated:Sun, 26 Jun 2022 09:39 PM (IST)
पहाड़ से जुडऩे की मुहिम : इंटरनेट मीडिया पर चले म्योर पहाड़ मेरी पछ्यांण अभियान के दो साल पूरे
पहाड़ से जुडऩे की मुहिम : दिल्ली, लखनऊ के अलावा विभिन्न हिस्सों से पहुंचे लोगों ने रखी बात

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : दो साल पहले जब कोरोना पैर पसार रहा था। नए तरह के वायरस के आने से हर कोई सहमा था। तब इंटरनेट मीडिया पर नेक मुहिम शुरू हुई म्योर पहाड़ मेरि पछ्यांण। पहाड़ की दुश्वारी व चुनौतियों से पार पाकर विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए नाम करने वालों से नई-पुरानी पीढ़ी को उनके संघर्ष से परिचित कराने की पहल काफी पसंद की गई।

अभियान के दो साल पूरे होने पर साहित्य, लेखन, पत्रकारिता व विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत पहाड़वासी रविवार को हल्द्वानी स्थित एफटीआइ में जुटे और भावी रणनीति पर चर्चा हुई। अभियान को समृद्ध करने के लिए कई अहम सुझाव आए।

वर्चुअल मुहिम को सजीव रूप देने के प्रयास के पहले सत्र में अभियान के विचार व प्रभाव पर बात हुई। अघिलोक बाट यानी आगे की राह कैसी हो इस पर भी सुझाव आए। भाषाविद डा. उमा भट्ट ने कहा कि जिस तरह लोग अभियान से जुड़े, वह अपनी बोली के प्रति प्रेम व उससे जुडऩे की लालसा को दिखाता है। तमाम शख्सियतों के साक्षात्कार ने बता दिया कि वह कितने संघर्ष व मुश्किल से निकलकर मुकाम तक पहुंचे हैं।

उन्होंने सुझाया कि हमें पहाड़ की स्वास्थ्य, शिक्षा, पलायन, खेती जैसी समस्याओं पर भी बात शुरू करनी होगी। कुमाउनी व्याकरण बने। डिजिटल शब्दकोश तैयार किया जा सकता है। इससे नई पीढ़ी को अपनी बोली समझने में सहजता होगी। पूर्व स्वास्थ्य निदेशक डा. एलएम उप्रेती ने सुझाया कि पर्वतीय क्षेत्रों की समस्याओं पर क्षेत्रीय बोली में बुलेटिन जारी करने के साथ आनलाइन चैनल बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। भाषा के माध्यम से जन-जन तक जुड़ सकते हैं।

पत्रकार गोविंद पंत ने कहा कि कुछ अलग करते प्रतिभावान युवाओं से भी बातचीत करनी चाहिए। पद्मश्री यशोधर मठपाल, चारु तिवारी, हिमांशु कफल्टिया, अशोक पंत ने भी अहम सुझाव दिए। अभियान के सूत्रधार हेम पंत, हिमांशु पाठक रिस्की, डा. सुरेश मठपाल, हेमा हर्बोला आदि मौजूद रहे।

वीडियो के माध्यम से भेजा संदेश

समारोह में नहीं पहुंच सके विज्ञान लेखक देवेन मेवाड़ी, इतिहासकार डा. शेखर पाठक, भूपेश जोशी, नवीन जोशी समेत कई अन्य से वीडियो संदेश के माध्यम से सुझाव दिए।

गीतों की प्रस्तुति भी हुई

लोक गायक प्रहलाद मेहरा ने बागेश्वर जिले के दानपुर की संस्कृति को दर्शाता गीत गाया। राजेंद्र ढैला, राजेंद्र प्रसाद ने म्यार मन में पहाड़ बरी रो गीत गाया। उभरते कलाकार भास्कर भौर्याल ने विणाई के साथ गीत की प्रस्तुति दी। विनोद पंत की किताब का विमोचन हुआ।

chat bot
आपका साथी